खूंटी: जिले के एक छोटे से गांव मोहराटोली में कभी अपने दोस्तों के साथ भैंस चराने वाला बच्चा मोस्ट वांटेड नक्सली बन जाएगा, ये किसने सोचा था. कभी बेहद ही सीधा और शांत मिजाज रहने वाले लड़के के खिलाफ देश के तीन राज्यों में करीब 150 से भी अधिक मामले दर्ज कैसे हो गए. वह नक्सली बना कैसे, इन सारे सवालों का जवाब उसके कभी करीबी रहे लोगों ने देने की कोशिश की है.
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हम बात कर रहे हैं झारखंड में नक्सल को बढ़ावा देने वाले पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की. दिनेश गोप को काफी कड़ी खोजबीन के बाद पुलिस ने आखिर पकड़ ही लिया. एके 47 और विदशी हथियारों का शौकीन दिनेश गोप को एनआईए और झारखंड पुलिस की विशेष टीम नेपाल से गिरफ्तार कर झारखंड लेकर आई है. हालांकि, एनआईए के अनुसार उसे दिल्ली से पकड़ा गया है.
कर्रा थाना क्षेत्र स्तिथ लापा मोहराटोली गांव का निवासी दिनेश गोप आखिर नक्सली कैसे बन गया, गांव वाले आज तक नहीं समझ पाए, क्योंकि उसके साथ भैंस चराने वाला दोस्त बताता है कि वो काफी सीधा और शांत मिजाज का रहने वाला था. नाम नहीं बताने की शर्त पर भैंस चराने वाले एक दोस्त ने बताया कि हमलोग लापा मोहराटोली गांव में कभी भैंस चराने जाया करते थे. हम दो तीन दोस्त भैंस चराने के साथ साथ स्कूल भी जाया करते थे. दिनेश भी साथ स्कूल जाता था. किसी तरह उसने मैट्रिक पास किया और आर्मी की तैयारी करने लगा. उसका आर्मी में बहाली भी हो गया. आर्मी में जाने के लिए ज्वाइनिंग लेटर आया. लेकिन जॉइनिंग लेटर लेकर जैसे ही वह घर के लिए निकला, कि रास्ते में उसे जानकारी मिली कि उसके भाई सुरेश गोप को पुलिस ने लापा बरटोली के पास मुठभेड़ में मार गिराया.
भाई की मौत का बदला लेने के लिए नक्सली संगठन से जुड़ा: दोस्त के अनुसार, जेएलटी संगठन को दिनेश गोप का भाई सुरेश गोप चलाता था, लेकिन उसके मारे जाने के बाद दिनेश गोप भाई का बदला लेने के लिए संगठन से जुड़ गया और मुखबिरों की हत्या करने लगा. उसके खिलाफ पहला मामला वर्ष 2003 में कर्रा थाना में दर्ज हुआ, उसके बाद से वह क्षेत्र में संगठन विस्तार में लग गया और पार्टी का नाम बदलकर पीएलएफआई कर दिया. पांच सालों तक कर्रा इलाके में ही उसका ठिकाना था, लेकिन उसने वर्ष 2008 के आसपास कर्रा छोड़ दिया और उसके बाद कभी गांव की तरफ नहीं लौटा. दोस्त ने बताया कि मुठभेड़ में मारा गया सुरेश गोप ने इंटर तक की पढ़ाई की थी.
10 साल पहले लौटा था गांव:भैंस चराने वाले दोस्त ने बताया कि लगभग 10 वर्ष पहले एक दिन अचानक दिनेश गोप गांव आया था और जिससे ज्यादा लगाव था, उससे मुलाकात कर वापस लौट गया. जाते जाते गांव समाज से लेकर परिवार वालों का हाल खबर भी लिया. लेकिन, उसके बाद वह कभी गांव की ओर नहीं आया. दोस्त ने बताया कि क्षेत्र में बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे थे, लोगों को पूजा पाठ करने में परेशानियां आने लगी थी तो उसने समाज के लिए स्कूल और मंदिर बनवाया. वह गरीब परिवार के बच्चे और बच्चियों की खूब मदद करता था. साथ ही शादी ब्याह में भी खर्च करता था. उसने बताया कि वो गलत जरूर था, लेकिन क्षेत्र के लिए एक मसीहा की तरह रहा.