खूंटीः समाहरणालय हो या फिर खूंटी सदर अस्पताल. सभी जगहों पर अग्निशमन यंत्र लगे है. लेकिन अग्निशमन यंत्र सिर्फ दिखावे के है. अचानक सरकारी कार्यलयों में अगलगी की घटना हो जाए, तो आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा.
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हाल के दिनों में राज्य के हिस्सों में अगलगी की घटना घटी है, जिसमें कई लोगों की जाने भी चली गई है. धनबाद के निजी हर्सिंग होम में आग लगने से डॉक्टर दंपति सहित छह लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, गुमला सदर अस्पताल में आग लगने से लाखों रुपये के समान जलकर खाख हो गए.
खूंटी सदर अस्पताल में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. इसमें दर्जनों गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है. लेकिन अस्पताल में आग से बचाव को लेकर मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई है. अस्पताल परिसर के कुछ बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के उपकरण लगाए गए है. लेकिन सभी बेकार और खराब है. स्थिति यह है कि सिविल सर्जन कार्यालय से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक लगाये गए सभी फायर सेफ्टी उपकरण एक्सपायर्ड है. इस स्थिति में अस्पताल में आग लग जाए तो उसपर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा. इसके बावजूद प्रशासन चेत नहीं रहा है.
सिविल सर्जन अजित खलखो ने बताया कि अस्पताल में फायर सेफ्टी उपकरण लगाये गए है. हर महीने मॉक ड्रिल भी होता है. उन्होंने कहा कि एक्सपायर्ड उपकरणों की जांच कराई जा रही है. इसके साथ ही अग्निशमन विभाग से सुझाव मांग किए थे. विभाग से सुझाव मिल गया है और भवन निर्माण विभाग को व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है.
बता दें कि साल 1995 में हरियाणा के डबबाली कांड में लगभग चार सौ लोगों की मौत हो जाने की घटना के बाद सभी प्रमुख भीडभाड़ वाले स्थानों और बिल्डिंग में आग से बचाव को लेकर पर्याप्त सुरक्षा उपकरण लगाने का नियम बनाया गया. लेकिन खूंटी में यह नियम महज कागजी और दिखावे का सामान बनकर रह गए हैं. किसी हादसे के बाद इसके ठीक होने का इंतजार किया जा रहा है. अब देखना होगा कि जब इस ओर सदर अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है तो कब इनकी दशा सुधरती है.