खूंटी:जिले में अवैध अफीम की खेती करने वाले किसानों और माफियाओं के कारण आम किसानों को मुसीबत उठानी पड़ रही है. आम किसान इससे परेशान हैं. दरअसल,अवैध अफीम की खेती करने वाले किसान और माफिया दुकानदारों से मुंहमांगी कीमत देकर खाद खरीद रहे हैं. इस कारण आम किसानों को उचित दामों पर खाद नहीं मिल रहा है. इससे किसानों को फसल लगाने में परेशानी होने लगी है.
अफीम माफियाओं के कारण जिले में बढ़े खाद के दाम, आम किसानों के लिए खेती करना बनी चुनौती, प्रशासन बेखर, कार्रवाई का भरोसा - etv news
भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती पर नशे के फसल ने खूंटी के आम किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है. अफीम माफियाओं के कारण खूंटी जिले में अवैध अफीम की खेती ने साग, सब्जी और नगदी फसल करने वाले किसानों के लिए खेती करना बड़ी चुनौती साबित हो रही है. कारण हजार से 12 सौ का मिलने वाला खाद पांच हजार से लेकर आठ हजार रुपये में बिक रहा. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है पढ़े इस रिपोर्ट में....
Published : Sep 15, 2023, 3:57 PM IST
रबी फसल करने वाले किसानों ने इस बारिश में खेतों को जोत कर तैयार तो कर लिया है, लेकिन खाद नहीं मिलने के कारण खेत वीरान हैं. बड़े किसानों की खेतों में फसल लहलहाती दिखाई दे रही है, लेकिन गरीब किसानों के खेत खाद नहीं रहने के कारण खाली हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अफीम उगाने वाले किसान खाद बेचने वालों से मुंहमांगे दामों में खाद खरीद ले रहे हैं. वहीं कुछ खाद बचा भी है तो कीमत इतनी ज्यादा है कि आम किसान उसे चाह कर भी नहीं खरीद पा रहे हैं.
जानकारी देने वाले की पहचान रखी जाएगी गुप्त:जिले में खाद के बढ़े दामों की जानकारी जिला प्रशासन को नहीं है. इस बारे में एसडीओ अनिकेत सचान ने कहा कि बड़े पैमाने पर खरीदे जा रहे खाद और परिवहन की जांच के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने खूंटी वासियों से अपील की है कि ऊंचे दामों में खाद बेचने वाले कारोबारियों की जानकारी दें ताकि जिला प्रशासन कार्रवाई कर सके और किसानों को उचित दामों पर खाद मिल सके. उन्होंने अपील की है कि सूचना देने वाले व्यक्तियों की पहचान गुप्त रखी जायेगी.
आठ हजार तक पहुंचा खाद का दाम:जानकारी के अनुसार, खूंटी के तीन प्रखंड मुरहु, खूंटी और अड़की के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अवैध अफीम की खेती होती रही है और लगातार इसका दायरा भी बढ़ा है. अगस्त-सितंबर के महीने से अफीम माफिया खेतों को तैयार करने में जुट जाते हैं और खाद वगैरह की खरीदारी करने लगते हैं. इसी कारण हजार से 12 सौ में बिकने वाला गोबर खाद आज पांच हजार से आठ हजार रुपये में बिक रहा है, लेकिन प्रशासन इससे बेखबर है. इससे किसानो के लिए खेती करना चुनौती बन गया है.