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Published : Jan 10, 2021, 10:19 AM IST

Updated : Jan 10, 2021, 11:10 AM IST

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खूंटी के डोम्बारी में मनाया गया शहीद स्मरण दिवस, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा-आगे बढ़ने के लिए सहभागिता की जरूरत

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी के शहीद स्मारक स्थल डोम्बारी बुरु पहुंचे. इस दौरान अर्जुन मुंडा का ढोल नगाड़ों के साथ स्थानीय आदिवासियों ने स्वागत किया. जिसके बाद उन्होंने भगवान बिरसा के आंदोलन के समय शहीद हुए क्रांतिकारी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

dombari martyrdom day celebrated in khunti
डोम्बारी शहीद स्मरण दिवस

खूंटी: जिले के डोम्बारी बुरु में शनिवार को जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, तोरपा विधायक कोचे मुंडा और पूर्व सांसद करिया मुंडा एक साथ पहुंचे और डोम्बारी शहीद स्थल में भगवान बिरसा के आंदोलन के समय शहीद हुए क्रांतिकारी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. बड़ी संख्या में बिरसा के अनुयायी बिरसाईत भी डोम्बारी पहुंचकर पूजा अर्चना की और श्रद्धांजलि दी.

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का किया स्वागत
शहीद स्मारक डोम्बारी बुरु में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जैसे ही पहुंचे पारंपरिक ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य करते हुए स्थानीय आदिवासियों ने स्वागत किया. डोम्बारी सभा स्थल के प्रांगण में अलग-अलग इलाकों से आए आदिवासियों ने जमकर आदिवासी नृत्य गीत संगीत पेश किए. डोम्बारी में आम जनता को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत ने डोम्बारी में भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन पर गोलियां चलाई और बड़ी संख्या में यहां के मुंडा आदिवासियों ने अपने जीवन की आहुति दी. यहां का इतिहास खून से लिखा गया है. ऐसे वीर सपूतों को आज के दिन वह नमन करते हैं और श्रद्धांजलि देते हैं.

शहीदों के बलिदान को किया याद

उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज को अपने पूर्वजों का बलिदान भूलना नहीं चाहिए. शहीदों के बलिदान को याद करते हुए आज के समय में आदिवासियों को अपनी दशा और दिशा तय करने की जरूरत है. आदिवासी समाज के विकास के लिए विगत दो-तीन सालों से लगातार कार्य किए जा रहे हैं. झारखंड में जनजातीय मंत्रालय की ओर से 65 एकलव्य मॉडल विद्यालय का निर्माण कार्य चल रहा है.

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सबकी सहभागिता की है जरूरत

वहीं, विभिन्न राज्यों में प्रखंड स्तर पर भी कई कार्य किए जा रहे हैं. ओडिशा, बंगाल, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, लेह लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तरांचल के आदिवासियों में भी विकास के प्रति ललक दिखती है. ऐसे में पूरे देश के आदिवासियों को अपने समुदाय को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. पिछले कई दशकों की तुलना में वर्तमान दशक में शिक्षा के प्रति आदिवासियों की जागरूकता बढ़ी है. संवैधानिक अधिकारों का पालन करते हुए आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को बरकरार रखते हुए प्रगति के पथ पर आदिवासी समाज को आगे बढ़ने की आवश्यकता है. आज भी जनजातीय समाज पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है इससे आगे बढ़ने के लिए सबकी सहभागिता की जरूरत है.

Last Updated : Jan 10, 2021, 11:10 AM IST

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