खूंटी: गांव देहात में जहां सरकारी सिस्टम की पहुंच नहीं है, ऐसे इलाकों के ग्रामीणों के लिए झोलाछाप डॉक्टर ही उनके लिए भगवान होते हैं. पहली बार उनसे कोरोना को हराने में मदद के लिए जिला प्रशासन ने पहल की है.
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शहरी इलाकों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद अब ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना दस्तक देने लगा है. बीमारी की हालत में ग्रामीण सबसे पहले स्थानीय वैद्यों के पास जाते हैं और दवाई लेते हैं. इसलिए जिला प्रशासन ने लोकल वैद्यों और छोटे स्तर के ग्रामीण डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण के मामलों में ग्रामीणों तक कोरोना किट पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी है.
झोलाछाप डॉक्टरों को जिला प्रशासन की हिदायत उपायुक्त ने बताया कि ग्रामीण वैद्य मरीजों के लिए दवाइयां नहीं लिखेंगे, लेकिन सरकारी प्रावधान के मुताबिक पूर्व निर्मित कोरोना किट ग्रामीणों तक पहुंचा सकेंगे. अगर किसी मरीज में 5-6 दिनों तक कोरोना के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, तो उन्हें प्रखंड या जिलास्तरीय अस्पताल पहुंचाने की भी जिम्मेदारी दी गयी है.
उपायुक्त ने बताया कि तोरपा, अड़की और कर्रा प्रखंड के स्वास्थ्य उपकेंद्रों में 20-20 ऑक्सीजन युक्त बेड की व्यवस्था जल्द की जाएगी. इससे स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होगी. सिविल सर्जन ने बताया कि लोकल वैद्य गांवों में स्वयंसेवक के तौर पर स्वास्थ्यकर्मियों को सहयोग करेंगे. ऐसे मरीज, जो होम आइसोलेशन में हैं उन-तक कोरोना दवाई किट पहुंचाने का काम करेंगे.
जिला प्रशासन ने बैठक में दिए निर्देश साथ ही गंभीर रूप से बीमार मरीजों को प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों या जिलास्तरीय कोविड सेंटर में भेज सकेंगे. खूंटी जिले के ग्रामीण इलाकों में संचालित टेली-मेडिसिन का लाभ भी अब ग्रामीण लेने लगे हैं. प्रतिदिन 8 घंटे टेली-मेडिसिन में डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई है. टेली मेडिसिन के माध्यम से ग्रामीण मरीज डॉक्टरी सलाह ले रहे हैं. इससे ग्रामीण इलाकों में कोरोना को लेकर सतर्कता बढ़ रही है और लोग अपना इलाज भी कराने लगे हैं.