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सब्जी बेचकर गुजारा करने को मजबूर हैं 'भगवान' के वंशज, आज तक नहीं मिला उचित सम्मान - birsa munda village ulihatu

देश की आजादी के लिए जान देने वाले आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा का परिवार आज भी गरीबी में जीवन गुजारने को मजबूर है. बिरसा की परपौत्री सब्जी बेचकर और कपड़े सिलकर घर चला रहीं हैं. परिवार को आज तक उचित सम्मान नहीं मिला.

Story of Birsa Munda descendants
बिरसा मुंडा के वंशज

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Published : Jun 9, 2021, 5:05 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 6:30 PM IST

खूंटी:महज 25 साल की उम्र में देश की आजादी के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाले आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की आज पुण्यतिथि है. बिरसा मुंडा के वंशजों को आज तक वो सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए. बिरसा मुंडा की परपौत्री जौनी कुमारी सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करने को मजबूर हैं. सब्जी बेचने से ज्यादा पैसा नहीं कमा पाती तो कपड़ा सिलकर परिवार चला रहीं हैं.

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आज भी अधूरा है पक्के मकान का वादा

जौनी ने बताया कि कई नेताओं ने गांव में समस्याएं दूर करने की बात कही लेकिन कुछ भी धरातल पर नहीं उतरा. रघुवर दास ने सबको पक्का मकान देने का वादा किया था लेकिन आज तक कई लोगों को पक्का मकान नहीं मिला. पेयजल की समस्या भी विकराल है. गर्मी के दिनों में चुआं खोदकर काम चलाना पड़ता है. जौनी बिरसा कॉलेज में स्नातक पार्ट-3 की छात्रा है.

गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

बिरसा मुंडा के परपौत्र बताते हैं कि गांव में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम वंशज के बेटे ने पीजी किया है. नौकरी तो मिली है लेकिन कम वेतन से ही घर का गुजारा चल रहा है. रीजनल भाषा में पीजी की डिग्री लेने वाले कानू मुंडा फोर्थ ग्रेड की नौकरी कर रहे हैं जबकि जंगल मुंडा पीआरडी कार्यालय में फोर्थ ग्रेड की नौकरी में है.

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आज भी गरीबी में जीने को मजबूर है परिवार

सुखराम मुंडा का कहना है कि उनका परिवार आज भी गरीबी में जीने को मजबूर है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि सरकार से मिलकर गांव में बुनियादी सुविधाओं को लेकर अपनी बात रखेंगे. बात सिर्फ सम्मान तक नहीं है, गांव की स्थिति काफी बदहाल है. ऐसे में जरूरत है सरकार को सोचने की ताकि देश की आजादी के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाले क्रांतिकारी के परिवार की ऐसी हालत न हो.

Last Updated : Jun 9, 2021, 6:30 PM IST

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