खूंटी/रांचीः जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाइटी और जिले की ग्रामसभाओं द्वारा संयुक्त रूप से जनशक्ति से जलशक्ति आंदोलन चलाया जा रहा है. इस आंदोलन से ग्रामीणों के साथ जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी, कर्मी और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जुड़ रहे हैं. इसी क्रम में शनिवार को जिले के अंतिम छोर पर बसे मुरहू प्रखंड के रूमुतकेल पंचायत अंतर्गत बड़ा डाहंगा गांव के नाले पर दो और छोटा डाहंगा में तीन, यानी कुल पांच बोरीबांध बनाए गए.
जिले के डीडीसी अरूण कुमार सिंह, मुरहू के बीडीओ प्रदीप भगत, कनीय अभियंता आलोक सिंह, पंचायत सचिव उमेश्वर काशी समेत रोजगार सेवक, पंचायत समिति सदस्य क्लेमेंट होरो, सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष समेत गांव के पुरूष, महिलाऐं, युवक-युवतियों ने मदईत (श्रमदान) किया. छोटे बच्चों ने भी अपने नन्हें हाथों से बांध बनाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की. बोरीबांध के बनते ही लोगों ने मछलियां पकड़नी शुरू की और गांव के लोगों ने लगभग दस किलोग्राम मछलियां भी पकड़ीं. ग्रामीणों ने परंपरा के अनुसार मदईत कर बांध बनाने के बाद गांव में सामूहिक रूप से भोज का आयोजन भी किया. जल संरक्षण के लिए मिलजुलकर काम करने और खाना खाने का भरपूर आनंद गांव के लोगों ने उठाया. इस कार्य से गांव का माहौल खुशनुमा हो गया.
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जल के लिए किया जा रहा आंदोलन सराहनीय : डीडीसी
डीडीसी अरूण कुमार सिंह ने कहा कि जनशक्ति से जलशक्ति आंदोलन सराहनीय है. खूंटी के दुर्गम इलाके में पानी दुर्लभ होता जा रहा है. भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. ऐसे में पानी को बचाने के लिए सेवा वेलफेयर सोसाइटी और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के सहयोग से पहल की है. बोरीबांध में श्रमदान करने पहुंचे डीडीसी ने जेई को सलाह दी कि वे किताबी ज्ञान के अलावा यहां के ग्रामीणों से भी सीखें. डाहंगा में पूर्व से आदिवासियों द्वारा पत्थरों से की गई मेढ़बंदी, पत्थर और बोरियों से हुए बांध निर्माण से सीख लेने की बात उन्होंने जेई से कही.