खूंटी:नदियों से बालू उठाव पर एनजीटी की रोक के बावजूद बालू माफिया नदियों का सीना चीर कर बालू का खनन कर रहे हैं. इस कारण नदियों का अस्तित्व तो खत्म होता जा ही रहा है, साथ ही नदियों के ऊपर बने पुल पर भी खतरा मंडराने लगा है. पिछले वर्ष बालू खनन के कारण दो बड़े पुल टूट गए थे और लगातार बालू खनन से कई जगहों पर कई पुल टूटने के कगार पर पहुंच गए हैं. वहीं सिस्टम बालू के अवैध खनन और उठाव पर रोक लगाने में विफल साबित हो रहा है. लगातार कार्रवाई नहीं होने के कारण बालू माफियाओं का मनोबल काफी बढ़ गया है. ग्रामीणों का कहना है कि बालू माफिया दिनदहाड़े नदियों से अवैध रूप से बालू का खनन कर उसे डंप कर रहे हैं. दिन भर ट्रैक्टर से बालू एक नीयत स्थान पर डंप किया जाता है और आधी रात से बालू की तस्करी शुरू हो जाती है.
कोयल और कारो नदी से धड़ल्ले से हो रहा है बालू का उठावः जिले में एक ओर अवैध खनन के खिलाफ जिला प्रशासन सख्त कार्रवाई करने का दावा करता है तो दूसरी ओर रनिया प्रखंड के कोयल और कारो नदी से धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन हो रहा है. प्रतिदिन सुबह से शाम तक ट्रैक्टर से अवैध बालू का उठाव जारी है. खनन माफियाओं के नेटवर्क के आगे खनन विभाग और टास्क फोर्स की कार्रवाई भी नाकाफी साबित हो रही है. लगातार हो रहे बालू उठाव से कोयल और कारो नदी पर करोड़ों रुपए की लागत से बने पुलों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.
दबंग माफियाओं के डर से कोई मुंह खोलने को तैयार नहींः इस संबंध में स्थानीय प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन मामले पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं. वहीं ग्रामीणों में दबंग बालू माफियाओं का इतना भय है कि अवैध बालू उठाने वालों के खिलाफ कोई आवाज तक नहीं उठाता है और न ही खुलकर कुछ बोल पाता है. ग्रामीण दबी जुबान से कहते हैं कि आज आवाज उठाएंगे तो कल माफिया झूठे केस में फंसा देगा और जेल जाना पड़ेगा. यही कारण है कि बालू माफिया खुलेआम दिन के उजाले में भी अवैध खनन करते हैं.