खूंटी: जिले के तिलमा में एक बार फिर पुलिस प्रशासन और अनुसूचित जनजाति समाज आमने- सामने भिड़ गए. तिलमा क्षेत्र में मारंगहादा थाना (Maranghada Police Station) के लिए चिन्हित जमीन की घेराबंदी को लेकर ग्रामीण और पुलिस के बीच नोंक झोंक हो गई. जिस जगह पर थाना का निर्माण हो रहा है, उसके बगल में ही सरना पूजा स्थल (Sarna Worship Place) है, जहां पर आदिवासी समुदाय (Tribal Community) के लोग बलि चढ़ाते हैं. गुरुवार को आदिवासी समाज के लोग सरना पूजा स्थल के बगल में थाना निर्माण का विरोध करने पहुंचे थे. इसे लेकर ही पुलिस प्रशासन और ग्रामीणों के बीच विवाद शुरू हो गया. घटना के बाद मौके पर काफी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया.
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जिले के तिलमा में थाना निर्माण के लिए परंपरागत बलि अनुष्ठान को लेकर पुलिस प्रशासन से ग्रामीण भिड़ गए. ग्रामीणों ने 5वीं अनुसूची का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल को 5वीं अनुसूची के तहत अनुसूचित जनजातीय समाज की सुरक्षा करने का दायित्व है, जनजातीय समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक क्रियाकलापों में गैर जनजातीय समाज का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं मुंडा पड़हा समाज के कई सदस्यों ने कहा कि जब तक बलि अनुष्ठान वाले स्थल को थाना क्षेत्र से बाहर नहीं किया जाएगा, तब तक थाना का विरोध जारी रहेगा. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि थाना किसी और जगह पर भी बन सकता है, लेकिन अनुसूचित जनजाति समुदाय का पूजा स्थल और बलि अनुष्ठान स्थल परिवर्तित नहीं किया जा सकता है.
ग्रामीणों और पुलिस के बीच बढ़ी दूरी
ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन पूर्वजों के काल से चली आ रही पूजा स्थल और बलि स्थल के रूप में चिन्हित पवित्र भूमि है, आदिवासी मुंडा जनजातीय समाज जगह बदल बदल कर पूजा नहीं कर सकता, ऐसा करने से सिंगबोंगा नाराज हो जाएंगे और गांव समाज में तरह तरह की बीमारियां फैलने लगेगी. ग्रामीणों ने कहा कि शुरुआत में तिलमा के पंचायत भवन में 3 महीने के लिए पुलिस कैंप बनाने की इजाजत मांगी गई थी, लेकिन तीन साल गुजरने के बाद भी स्थानीय ग्रामीण खामोश रहे, जब यहां स्थायी थाना निर्माण के लिए धार्मिक आस्था वाले बलि स्थल की घेराबंदी कर दी गई, तब ग्रामीणों और पुलिस के बीच दूरी बढ़ती गई.