हजारीबाग/खूंटीः 12 फरवरी का दिन पर्यावरण प्रेमियों के लिए खास है. आज पूरे एशिया में जलीय पक्षियों की गणना कार्यक्रम दिनभर चला. हजारीबाग भी एक महत्वपूर्ण जैव विविधता केंद्र के रूप में जाना जाता है. जहां विदेशों से पक्षी हजारीबाग के विभिन्न जल स्रोतों तक पहुंचते हैं. ऐसे में कितने पक्षी इस बार हजारीबाग पहुंचे पक्षियों की गणना की गयी. यह कार्यक्रम पूरे एशिया में एक साथ हुआ है ताकि 1 दिन में एक साथ सभी जलीय पक्षियों की गणना की जा सके. जिससे उनकी वास्तविक संख्या का पता लगे. इसे देखते हुए हजारीबाग के छड़वा डैम में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
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एशियन जलीय पक्षी गणना 2022 (Asian Waterbird Census 2022) को लेकर शनिवार को छड़वा डैम स्थित वन विभाग कार्यालय परिसर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. झारखंड जैव विविधता बोर्ड (Jharkhand Biodiversity Board) रांची की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वन विभाग के वरीय पदाधिकारी समेत कई समाजसेवियों ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रवासी पक्षियों का गणना है. ठंड के मौसम शुरू होते ही प्रवासी पक्षी हिमालय पार करते हुए लाखों की संख्या में झारखंड के विभिन्न जलाशयों तक पहुंचते हैं और वसंत ऋतु में वापस अपने देश लौट जाते हैं.
इस सर्वे के अनुसार जलीय पक्षी का लगभग 90% प्रजातियां झारखंड में देखी जाती है. इन सभी को संरक्षण करने की आवश्यकता है. इसे देखते हुए कार्यशाला के साथ जलीय पक्षियों की गणना भी की गयी. हजारीबाग प्रवासी पक्षियों का महत्वपूर्ण आश्रय स्थल है. जहां छड़वा डैम, लूटा डैम, तिलैया डैम समेत अन्य जलाशयों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी देखे जाते हैं. जिसमें मुख्य रुप से सरपटी, राजहंस, लहरिया, शिवहंस, पनडुब्बी, सुर्खाब कूट, टफटेड डक, कामनगिल शामिल हैं. वन विभाग के पदाधिकारी ने बताया कि पक्षियों की गणना करने से पता चल पाएगा कि उनकी स्थिति क्या है वर्तमान समय में उनकी संख्या कितनी है. उन्हें सुरक्षित करने के लिए क्या किया जा सकता है.
रांची से आए झारखंड जैव विविधता बोर्ड के टेक्निकल ऑफिसर ने कहा कि हजारीबाग समेत पूरा राज्य प्रवासी पक्षियों के लिए जाना जाता है. जहां हजारों किलोमीटर की दूरी पार कर पक्षी यहां पहुंचते हैं. ऐसे में पूरे राज्य भर में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन किया गया है. जिन्हें सरकारी शक्ति दिया गया है कि जलसंपत्ति का दोहन ना हो. स्थानीय लोग अज्ञानतावश उन्हें मार देते हैं या फिर जल स्रोतों के आसपास प्लास्टिक या अन्य सामान फेंक देते हैं. जिससे खाने से उनकी मौत हो जाती है. प्रशिक्षुओं ने बर्ड एक्सपर्ट के साथ छड़वा डैम परिसर में आए विंटर विजिटर बर्ड की गणना की गणना में पता चला कि सर्वाधिक संख्या में इस बार हेडेड गूज, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, लिटिल ग्रिब, कॉमन कूट, टफ्टेड डक सहित अन्य मेहमान पक्षी पहुंचे हैं. मौजूदा संख्या पिछले तीन साल में आधे से भी कम है.
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खूंटी में जलीय पक्षियों की गणनाः खूंटी और रांची जिला के सीमा पर स्थित लतरातू डैम में शनिवार को साइबेरियन पक्षियों की गणना का कार्यक्रम झारखंड जैव विविधता बोर्ड द्वारा आयोजित किया गया. पूरे देश में शनिवार को यानी 12 फरवरी के दिन विदेशी साइबेरियन पक्षियों की गणना की जाती है. साइबेरियन पक्षी प्रत्येक वर्ष सर्दियों के मौसम में भारत की ओर रुख करते हैं. साइबेरियन पक्षियों के भारत मे प्रवास के दौरान नदी, तालाब और बड़े बड़े जलाशयों की खूबसूरती देखते ही बनती है. झारखंड जैव विविधता बोर्ड, वन विभाग, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन झारखंड और खूंटी जिला प्रशासन के सहयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में खूंटी में साइबेरियन पक्षियों की गणना के लिए जैव विविधता प्रबंधन समिति, वन विभाग के वनरक्षी, पर्यटन मित्र और स्कूली विद्यार्थियों की टीम बनाकर जनगणना करायी गयी.
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन झारखंड सरकार के अवर मुख्य सचिव एल ख्यांगते और खूंटी उपायुक्त शशि रंजन ने संयुक्त रूप से साइबेरियन पक्षी की गणना कार्यक्रम में शिरकत की. अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते ने बताया कि प्रत्येक वर्ष विदेशों से आने वाले साइबेरियन पक्षियों की गणना 12 फरवरी को पूरे देश में की जाती है. कार्यक्रम का उद्देश्य है कि आज के समय मे जैव विविधता के साधनों की संरक्षण क्यों जरूरी है और यहां जैव विविधता की क्या भूमिका हो सकती है. अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते ने बताया कि आज गणना में शामिल वनरक्षी, पर्यावरण मित्र और स्कूली विद्यार्थियों के लिए प्रकृति से संबंधित फिल्म का प्रसारण भी किया जाएगा ताकि जैव विविधता की महत्ता और संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके.