खूंटीः जिले के अंतिम गांव करगे में जश्न का माहौल दिखा. वजह थी द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना. एक तरफ वो शपथ ले रही थी तो दूसरी तरह इस जनजातीय गांव में लोग उत्सव मना रहे थे. इन ग्रामीणों को उम्मीद है कि देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी महिला के आसीन होने से उनके दिन भी बहुरेंगे.
करगे खूंटी जिले की अंतिम छोर पर बसा पूरी तरह से जनजातीय गांव है. यहां आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. प्रशासन की कृपा भरी नजर अभी तक पूरी तरह से यहां पर नहीं पड़ी है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह के बाद खूंटी के जनजातीय गांव करगे में उत्सव का माहौल देखने को मिला. देश की पहली जनजातीय महिला राष्ट्रपति के सम्मान में गांव के लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया. बड़े, छोटे, महिला, पुरुष सभी गांव के अखरा में एकसाथ एक ताल और एक लय के साथ थिरकते नजर आए.
खूंटी जिला का शत प्रतिशत जनजातीय गांव करगे खूंटी जिले का अंतिम गांव है. यहां मुंडा आदिवासी कृषि कार्य कर अपनी जीविका का निर्वहन करते हैं. गांव में 5 युवा बीए तक की पढ़ाई किए हैं. मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई कर युवा भी खेती किसानी के कार्यों में जुटे हैं. गांव में एक सरकारी विद्यालय है, जिसमें एक पारा शिक्षक है. स्कूल में 10 बच्चे पठन पाठन के लिए आते हैं. स्वास्थ्य सुविधा के लिए यहां के ग्रामीणों को खूंटी जाना पड़ता है. दूर होने के कारण रोगियों को सदर अस्पताल तक ले जाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मुख्य सड़क से गांव को जोड़ने वाली सड़क जर्जर ही गयी है. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में जर्जर सड़क से मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में क़ाफी परेशानी होती है।
गांव के शत प्रतिशत लोग कृषि कार्यों से जुड़कर अपनी जीविका चलाते हैं. हालांकि इस वर्ष अच्छी बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपाई जुलाई के अंत तक नहीं हो पाई है, लेकिन गांव वालों ने जैसे ही सुना कि पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण कर रही हैं. वैसे ही गांव के लोग ढोल नगाड़ों के साथ देश के प्रथम नागरिक का सम्मान कर बेहद प्रसन्नचित नजर आए.