झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

कृषि वैज्ञानिक दे रहे खूंटी के किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी, लाह की खेती के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित

खूंटी के किसानों को प्राकृतिक रूप से खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिक एसपी सिंह किसानों को जैविक खेती की जानकारी दे रहे हैं. साथ ही वे किसानों को लाह की खेती के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं.

cultivation of lac in Khunti
villagers and agriculture scientist

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 24, 2023, 7:23 PM IST

Updated : Sep 24, 2023, 8:05 PM IST

किसानों को जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक

खूंटी: अवैध अफीम की खेती के आगोश में लिपटे जिले के कुछ प्रखंडो को निकालने की लगातार कोशिश हो रही है. इसके लिए प्रशासन के साथ कई लोग भी जुटे हुए हैं. खूंटी जिला एक कृषि प्रधान जिला है, लेकिन जिले के खूंटी अनुमंडल को छोड़ तोरपा अनुमंडल के लगभग सभी पंचायत क्षेत्रों में किसान धान समेत अन्य साग सब्जियां और कुछ कैश क्रॉप की खेती करते हैं. साग सब्जियों में लौकी, भिंडी, फूल गोभी, बीन्स, बोदी, कोंहड़ा, आलू, बैगन, मिर्च समेत अन्य सब्जियों का उत्पादन करते हैं.

यह भी पढ़ें:अफीम माफियाओं के कारण जिले में बढ़े खाद के दाम, आम किसानों के लिए खेती करना बनी चुनौती, प्रशासन बेखर, कार्रवाई का भरोसा

लेकिन वहीं खूंटी अनुमंडल क्षेत्र अफीम की खेती के लिए कुख्यात हो है. अनुमंडल क्षेत्र के खूंटी, मुरहु और अड़की प्रखंड क्षेत्रों में अफीम की खेती से किसानों का जुड़ाव अधिक है. इसे रोकने के लिए लोगों और किसानों को जागरुक करने कृषि एवं अनुसंधान विभाग नामकुम में पूर्व में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक एसपी सिंह बीच-बीच में खूंटी आते-जाते रहते हैं. वे किसानों को कम संसाधनों में उन्नत खेती की जानकारी देते हैं. कृषि वैज्ञानिक एसपी सिंह के जन जागरूकता से इलाके में थोड़ा-बहुत बदलाव आया है.

प्राकृतिक खाद से कर सकते हैं अच्छी उपज:कृषि वैज्ञानिक एसपी सिंह ने कहा कि फुदी पंचायत के सिल्दा गांव के किसान बेहतर उपज लेने के लिए प्राकृतिक खेती और जैविक कीटनाशक का निर्माण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम अपने आसपास गांव और घरों में मौजूद गोबर और खर पतवार से प्राकृतिक खाद बनाकर अच्छी उपज ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों में रासायनिक खादों का प्रयोग कम करें, क्योंकि रासायनिक खाद से मिट्टी को उपजाऊ और नरम बनाने वाले जीव मर जाते हैं. जिसके कारण मिट्टी का पीएच स्तर कम हो जाता है. प्राकृतिक खाद से की गई खेती से मिट्टी की उर्वरा क्षमता बनी रहती है और PH लेवल भी बना रहता है.

किसानों को लाह की खेती की भी दी जानकारी:उन्होंने बताया कि खूंटी जिले में लाह की अच्छी खेती होती है. लाह की खेती पलाश, बेर, कुसुम और सेमियलता के पौधों में की जाती है. लाह की खेती का प्रशिक्षण नामकुम में यहां के किसान ले सकते हैं. जानकारी लेकर किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं. झारखंड सरकार ने लाह की खेती को कृषि का दर्जा दिया है, इसलिए अब किसान अधिक से अधिक लाह की पैदावार कर सकते हैं. अब लाह की खेती पर टैक्स भी नहीं लगेगा.

Last Updated : Sep 24, 2023, 8:05 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details