खूंटी:भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली खूंटी जिले से आदि आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत होगी. आदिवासी बहुल खूंटी जिले के आदिवासी ग्रामीण अब झुग्गी झोपड़ी व खपड़ैल घरों में नहीं रहेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार ने आदि आदर्श ग्राम योजना बनाई है. जिसके तहत ग्रामीण खुद अपनी योजना बना कर अपने गांव और खुद का विकास कर सकेंगे.
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योजना के लिए चुने गए खूंटी के 275 गांव: खूंटी जिले में 275 गांवों का चयन आदि आदर्श ग्राम योजना के लिए किया गया है और सभी गांव के लिए विलेज डेवलपमेंट प्लान भी बना लिया गया है इसके लिए 12 करोड़ की योजनाएं प्रस्तावित हैं और जिन योजनाओं को क्रियान्वित करना है. उसके लिए राज्य स्तरीय बैठक भी पूरी कर ली गई है. अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को अंतिम स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. जिसके बाद 275 गांवों में कार्य आरंभ किया जाएगा.
ऐसे किए जाएंगे काम:आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत आठ अलग-अलग सेक्टरों में कार्य किए जाने की योजना बनायी गयी है. योजना को धरातल पर उतारने के लिए प्राथमिकता के स्तर पर आठ अलग-अलग विभागों के द्वारा कार्य संपादित किया जाएगा, लेकिन ग्रामीणों की मांग के अनुरूप विद्युतीकरण को भी नौवें सेक्टर में शामिल किया गया है. खूंटी जिले में चयनित गांवों में ग्राम सभा केंद्र बनाए जाएंगे. साथ ही सामुदायिक ग्राम सभा भवन का भी निर्माण कराया जाएगा.
योजना के तहत होंगे ये विकास कार्य:आदि आदर्श ग्राम योजना के लिए चिन्हित गांव के अंतर्गत आने वाले जर्जर सरकारी भवनों की मरम्मत करायी जाएगी. साथ ही जिन इलाकों में बिजली व्यवस्था दुरुस्त करनी है, या नया कनेक्शन देना है. उसका काम भी किया जाएगा. गांव में बिजली की व्यवस्था बेहतर करने के लिए एलईडी लाइट को प्रमोट किया जाएगा और गांव की गलियां भी रोशन होंगी. इसके साथ ही चयनित सभी गांवों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. ग्रामीण परिवेश की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए आदि आदर्श ग्राम योजना अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को भी दुरुस्त किया जाएगा. जिन स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य उपकरणों की जरूरत होगी, वहां आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे.
विकास कार्य का विरोध करते हैं ग्रामीण: बता दें कि जिले में जब भी विकास कार्य शुरू हुए हैं, ग्रामीण विरोध करना शुरू कर देते है जिसके कारण योजना सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाती. कई बार योजनाएं बंद करनी पड़ती है, लेकिन जिला प्रशासन आदि आदर्श योजना के लिए ग्रामीणों को जागरूक भी करेगी, ताकि योजना गांव तक आसानी से पहुंच सके.