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दीपावली के त्योहार में मिट्टी के दीए जलाने की परंपरा है कायम, चाइनिज लाइटों ने कम की है बिक्री

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Published : Oct 27, 2019, 1:56 PM IST

जामताड़ा में भी दीपावली का बाजार सज चुका है. लोग रंग-बिरंगे चाइनिज लाइट खरीद रहें है, तो वहीं मिट्टी के दीए भी खरीदते दिखे. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में  मिट्टी के दीए का प्रयोग किया जाता है. दुकानदारों ने कहा कि बिक्री में काफी कमी आई है.

दीपावली का बाजार

जामताड़ा: दीपों के त्योहार दीपावली के मौके पर मिट्टी के दीए इस्तेमाल करने की परंपरागत आज भी कायम है. मिट्टी के दीए का महत्व कम नहीं हुआ है. आज के आधुनिक युग में मिट्टी के दीए का इस्तेमाल पूजा-पाठ भारतीय संस्कृति परंपरा के अनुसार किया जाता है.

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आधुनिकता की इस चकाचौंध युग में दीपों का त्योहार दीपावली में भले ही चाइनिज लाइट अपना स्थान बना चुकी है, पर आज भी मिट्टी के दीए का महत्व कम नहीं हुआ है. जहां लोग घरों को चाइनिज लाइट और बिजली की रोशनी से जगमगाते हैं. वहीं मिट्टी के दीए भी खरीदते लोगों को देखा गया.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि भारतीय परंपरा और संस्कृति के अनुसार मिट्टी के दीए जलाना शुभ माना जाता है और मिट्टी के दीए जलाकर ही दीपावली मनाते हैं. लोग दूसरों को भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप मिट्टी के दीए जलाकर दीपावली त्योहार मनाने की अपील भी कर रहे हैं. चाइना लाइट और आधुनिक चका चौंध के युग में बिजली की तरह-तरह की रोशनी और लाइट आने से दीपावली के त्योहार में दीपक और मिट्टी के दीए की बिक्री और कारोबार करने वाले पर जरूर प्रभाव पड़ा है. बिक्री में कमी तो आई है. जितनी बिक्री होनी चाहिए उतनी नहीं हो रही है.

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मिट्टी के दीए के कारोबार करने वाले लोगों का कहना है कि चाइनिज लाइट आ जाने से उनके कारोबार में काफी प्रभाव पड़ा है.

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