जामताड़ा: जिले के सदर अस्पताल में तीन महीने से प्रसूति महिलाओं के ऑपरेशन बंद होने से गरीब महिलाएं काफी परेशान हैं. मजबूरी में गर्भवती महिलाओं के परिजन निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं. वहीं सरकार के लक्ष्य के अनुरूप काम नहीं होने के कारण जिला प्रशासन ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक समेत 5 डॉक्टरों को शो-कॉज किया है.
ये भी पढ़ें- मॉडल अस्पताल बनेगा जामताड़ा सदर अस्पताल, कवायद शुरू
सुविधा के बावजूद नहीं हो रहे ऑपरेशन
जामताड़ा सदर अस्पताल में प्रसूति महिलाओं के ऑपरेशन और इलाज के लिए सारी सुविधाएं मौजूद हैं. बावजूद इसके अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है. ऐसी परिस्थिति में गरीब महिलाओं के लिए भारी परेशानी और आर्थिक तंगी का सामना करना मजबूरी बन गई है.
ऑपरेशन में डॉक्टर नहीं ले रहे दिलचस्पी
खबर के मुताबिक सदर अस्पताल के डॉक्टर सिजेरियन ऑपरेशन में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. जिसका खामियाजा गरीब महिलाओं को उठाना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में इन महिलाओं को या तो शहर से बाहर इलाज के लिए जाना पड़ता है या फिर किसी दलाल के चंगुल में फंसकर निजी अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है. सदर अस्पताल में ऑपरेशन नहीं होने के कारण गरीब महिलाएं कर्ज लेकर निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं. स्थानीय समाज सेवी और जामताड़ा कोर्ट की अधिवक्ता संचिता दा की माने तो नर्स और सहिया की मिलीभगत से निजी नर्सिंग होम में गरीब महिलाओं को इलाज के लिए मजबूर किया जाता है. जहां उन्हें काफी पैसा खर्च करना पड़ता है.
उपाधीक्षक समेत पांच डॉक्टरों को शो-कॉज
इधर पूरे मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. सदर अस्पताल में प्रसूति महिलाओं के ऑपरेशन के लिए दिए गए निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं करने पर अस्पताल उपाधीक्षक समेत 5 डॉक्टरों को शो-कॉज किया गया है. इन डॉक्टरों को जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने मानी गलती
पूरे मामले में जब सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने अस्पताल में ऑपरेशन नहीं होने की बात को स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन में डॉक्टरों की रुचि नहीं दिखाने के कारण ऑपरेशन का जो लक्ष्य है वो पूरा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि उनके प्रयास के बाद भी स्थिति नहीं सुधर रही है. ऐसे में गलती चाहे जिसकी भी हो खामियाजा तो गरीब घर की महिलाओं को भुगतना ही पड़ रहा है..