झारखंड

jharkhand

By

Published : Nov 7, 2020, 4:53 PM IST

ETV Bharat / state

20 साल बाद भी संथाली आदिवासी गांवों में नहीं पहुंची विकास की किरण, रोजगार का संकट

झारखंड इस साल स्थापना का 20 वां साल मनाएगा पर अभी भी यहां के संथाल आदिवासियों के गांवों में विकास की किरण नहीं पहुंच पाई है.यहां के लोग रोजगार के संकट से जूझ रहे हैं, सिंचाई, शिक्षा और बिजली की बुनियादी सुविधाएं इन गांवों में नहीं पहुंच पाईं हैं.

Santhal Pargana far from development
संथाल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

जामताड़ा: झारखंड इस साल स्थापना का 20 वां साल मनाएगा पर अभी भी यहां के संथाल आदिवासियों के गांवों में विकास की किरण नहीं पहुंच पाई है. आज भी यहां के लोग रोजगार के संकट से जूझ रहे हैं, सिंचाई, शिक्षा और बिजली की बुनियादी सुविधाएं इन गांवों में नहीं पहुंच पाईं हैं. राजनीतिक दलों के नेता इसके लिए सरकार पर सवाल उठा रहे हैं.

देखें पूरी खबर

भाजपा के जिला अध्यक्ष सोमनाथ सिंह इसके लिए सोरेन परिवार, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है राज्य के गठन के बाद यहां अधिक समय तक इन दलों की सरकार रही पर सबसे अधिक मुख्यमंत्री देने वाले क्षेत्र के विकास पर इन सरकारों ने ध्यान नहीं दिया. सिंह का कहना है कि जिस उद्देश्य राज्य का निर्माण हुआ, उसके मकसद की ओर नहीं बढ़ा जा सका है.

पलायन बड़ा संकट

लंबी लड़ाई और झारखंड आंदोलन के बाद जब झारखंड राज्य का गठन हुआ था तब लोगों को उम्मीद थी कि उनका जीवन स्तर ऊंचा करने के प्रयास किए जाएंगे. सिंचाई और रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना होगा पर 20 साल बाद भी सपने पूरे नहीं हो सके.

संथाल परगना से राज्य के कई मुख्यमंत्री हुए हैं पर यहीं हालात सबसे बदतर हैं. संथाल परगना से शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बन चुके हैं पर इस क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का अभाव है. रोजगार के लिए लोगों को भटकना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-लोहरदगा में ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था हुई फेल, महज 32 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन क्लास में हुए शामिल

आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय तक नहीं

यहां वन अधिकार कानून तक को ठीक से लागू नहीं किया गया . इस संबंध में सीपीआई के वरीय नेता सुजीत सिन्हा का कहना है कि झारखंड गठन के 20 साल बाद भी आदिवासी समाज की स्थिति जस की तस है . उनका कहना है कि सरकार की ओर से आदिवासियों के हित के लिए अलग से मंत्रालय तक नहीं बनाया गया. अलग राज्य निर्माण के बाद भी शिक्षा स्वास्थ्य की स्थिति बदतर होने का आरोप लगाया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details