जामताड़ा: कोकून पालन कर आत्मनिर्भर महिलाएं अपने गांव में उदाहरण प्रस्तुत कर रही (Jamtara Paharia tribal women self sufficient) हैं. जामताड़ा में पहाड़िया जनजाति कोकून से धागा निकालकर सूत कताई कर अच्छी कमाई कर रही हैं. इस काम में मिहिजाम की एक स्वयंसेवी संस्था इन महिलाओं की मदद कर रही है.
पहाड़िया जनजातीय महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर, सूत कातकर धागे से पिरो रहीं जिंदगी - जामताड़ा न्यूज अपडेट
झारखंड में पहाड़िया जनजाति समुदाय आज भी गरीब और पिछड़ा है. लेकिन आज ये घरों से निकलकर स्वरोजगार से जुड़कर आगे बढ़ रहे हैं. जामताड़ा में कोकून पालन कर पहाड़िया जनजातीय महिलाएं आत्मनिर्भरता की नयी इबारत लिख रही (Jamtara Paharia tribal women self sufficient) हैं.
![पहाड़िया जनजातीय महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर, सूत कातकर धागे से पिरो रहीं जिंदगी tribal tribal women self sufficient by rearing cocoons in Jamtara](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-16979602-thumbnail-3x2-jam.jpg)
कोकून पालन (rearing cocoons in Jamtara) से जुड़कर कमजोर तबके की महिलाएं ना सिर्फ रोजगार कर रही हैं बल्कि अपना जिंदगी भी संवार रही हैं. मिहिजाम के आश्रम में कई महिलाएं स्वरोजगार से जुड़कर अपनी जिंदगी बेहतर रही हैं. कोकून से धागा निकाकर सूत कात कर पहाड़िया समुदाय की महिलाएं रोजगार कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. मिहिजाम के स्वंयसेवी संस्था द्वारा संचालित इस कोकून पालन क्षेत्र में कई महिलाएं रोजगार से जुड़ी हुई हैं. महिलाओं का कहना है कि प्रतिदिन ढाई सौ से तीन सौ ग्राम धागा निकालते हैं, जिससे प्रतिमाह उनकी अच्छी आमदनी हो जाती है.
जामताड़ा जिला के मिहिजाम शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर केवट जाली आश्रम स्थित है, जो एक संस्था द्वारा संचालित है. जहां बताया जाता है कि आसपास इलाके में विलुप्त होती पहाड़िया जनजाति समुदाय के लोग काफी संख्या में निवास करते हैं. इस समुदाय की महिलाएं इस संस्था से जुड़कर अपनी जिंदगी संवार रही हैं.