रांची/नई दिल्ली: झारखंड में संथाल परगना के आदिवासी क्षेत्र जामताड़ा को साइबर क्राइम हब (Jamtara Cyber Crime Hub) के रूप में पहचान मिली हुई है. यहां बैंक प्रबंधकों के रूप में धोखेबाजों द्वारा किए गए आधे से अधिक अपराध इसी शहर से सामने आए हैं. सैकड़ों स्थानीय युवाओं को साइबर अपराध में विशेषज्ञता प्राप्त है, उनके हाथों में वेब-कनेक्टेड मोबाइल फोन का हथियार हैं.
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उनके काम करने का तरीका बेहद सरल है. एक नकली आईडी के माध्यम से प्राप्त सिम से नंबरों की एक सीरीज पर कॉल करें, एक अन्य मोबाइल फोन के साथ दूसरे साथी को तैयार रखें, जो एटीएम या डेबिट कार्ड और ओटीपी को तेजी से नोट कर सकें. एक बार जब अकाउंट से पैसा ई-वॉलेट में ट्रांसफर हो जाते हैं, तो वह तुरंत मौका देख निकालने में कामयाब हो जाते हैं.
जमशेदपुर की अर्का जैन यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रॉनिक्स और कॉम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में अस्टिेंट प्रोफेसर श्वेता कुमारी बरनवाल के अनुसार, मोबाइल फोन उनके लिए साइबर कैफे का काम करता था. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन इंजीनियरिंग, साइंस एंड मैनेजमेंट (International Journal of Research in Engineering Science and Management) में प्रकाशित जामताड़ा के साइबर क्राइम पर आधारित एक रिपोर्ट में उनके तौर-तरीकों का वर्णन किया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के अलग-अलग हिस्सों से बैंक प्रबंधकों के रूप में कॉल करने के लिए लोगों के फोन नंबरों को शॉर्टलिस्ट की जाती है और उसके बाद कार्रवाई शुरू होती है. सबसे आम रणनीति अपनी पहचान को बदलना होता है. वे बैंक प्रबंधकों के रूप में कॉल करते हैं, अपने पीड़ितों को बैंक अकाउंट और कार्ड डिटेल शेयर करने के लिए कहते हैं, और फिर जानकारी का उपयोग अपने अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए करते हैं.