झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

डीवीसी विस्थापितों ने मछली पालन को बनाया रोजगार का साधन, सरकारी मदद ना मिलने से हैं मायूस

रोजी-रोजगार के लिए जामताड़ा में डीवीसी (DVC) से विस्थापित लोग जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. मछली का पालन (Fisheries) कर आजीविका चला रहे हैं. लेकिन बिना सरकारी मदद ना मिलने से उनमें मायूसी है.

Fish farmers are not getting government facilities in Jamtara
मछली

By

Published : Jul 11, 2021, 9:38 PM IST

जामताड़ाः जिला में डीवीसी का विस्थापित श्यामपुर गांव (DVC displaced Shyampur village in Jamtara ) के ग्रामीण डीवीसी डैम (DVC Dam) के पानी में मछली पालन कर रोजगार कर रहे हैं. लोग यहां केज के जरिए मछली पालन कर आजीविका चला रहे हैं. समिति बनाकर इलाके के कई लोग लाभान्वित हो रहे हैं. लेकिन सरकारी सुविधाएं और नुकसान की भरपाई ना होने से उनमें मायूसी है. जब उनकी मेहनत पूरी है तो फिर सरकारी मदद क्यों अधूरी है.

इसे भी पढ़ें- सीएम हेमंत सोरेन ने मछुआरों को ऑनलाइन किया संबोधित, 2024 तक झारखंड को मछली निर्यातक राज्य बनाने पर जोर

जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर श्यामपुर गांव स्थित है. जो डीवीसी डैम का विस्थापित गांव (Displaced village of DVC Dam) है. गांव के लोगों की जमीन डीवीसी की डैम के लिए अधिग्रहित कर लिया गया. जिससे सैकड़ों लोग विस्थापित हो गए. उनकी जमीन चली गई तो वो बेरोजगार हो गए. एक वक्त में उनके और उनके परिवार के सामने आर्थिक तंगी आ खड़ी हुई.

देखें पूरी खबर

केज के जरिए मछली पालन कर ग्रामीण बन रहे आत्मनिर्भर

इसके बाद गांव के लोगों ने मछली पालन कर रोजगार करने की ठानी. जिसके लिए ग्रामीणों ने मत्स्य विभाग (Fisheries Department) से संपर्क कर जलाशय मत्स्य जीवी सहयोग समिति का गठन किया. जिसके तहत डैम के पानी में ही केज के जरिए मछली पालना (Cage Fishing) शुरू किया. फिर क्या था देखते-देखते रोजगार और अच्छी आमदनी होने लगी.

डैम के पानी में बना केज

मछली पालन से बढ़ते रोजगार के अवसर से समिति के साथ गांव के कई लोग जुड़ते चले गए. समिति के अध्यक्ष बताते हैं कि मछली उत्पादन कर लोग रोजगार तो कर रहे हैं. लेकिन जितनी सुविधा उन्हें मिलनी चाहिए उतनी नहीं मिल पा रही है. समिति के अध्यक्ष के नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हुई है. अपने नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर वो अब तक गुहार लगा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- कोरोना की दूसरी लहर ने मछली उत्पादन की बढ़त पर लगाई ब्रेक, सरायकेला में छह साल बाद आई गिरावट

40-50 लोग जुड़े हैं, सालाना लाखों की आमदनी

डीवीसी के डैम में केज (Cage) के जरिए मछली पालन के लिए बनी जलाशय मत्स्य जीवी सहयोग समिति में करीब 40-50 की संख्या में लोग जुड़ गए हैं. इससे व्यवसाय से उन्हें रोजगार तो मिल ही रहा है, साथ ही अच्छी आमदनी भी हो रही है. समिति की सालाना कमाई लाखों में जाती है. समिति के सदस्य कुतुबुद्दीन बताते हैं कि समिति में 40 से 50 संख्या में लोग हैं. जिनकी रोजी-रोजगार मछली से हो जाती है और फायदा भी होता है. अगर सरकार और केज दे तो समिति में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर उनको रोजगार मिल सकता है. इस ओर शासन-प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग मछली पालन से जुड़े और रोजगार प्राप्त करें.

डैम के पानी में बना केज

आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में मछली खपाया जाता है
जामताड़ा में मछली की खपत ज्यादा है और इसका व्यवसाय जामताड़ा में काफी फैला हुआ है. लेकिन मछली का उत्पादन जामताड़ा में कम होने से इसके खाने वाले संख्या को देखते हुए आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में मछलियां लाया जाता है, बाजार में का खपाया जाता है.

इसे भी पढ़ें- विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश भारत, जानें उपलब्धियां...


केज और नांव की कर रहे मांग
विस्थापित श्यामपुर गांव के ग्रामीण और मछली व्यवसाय से जुड़े लोग सरकार से अधिक से अधिक केज उपलब्ध कराने और नाव उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर ज्यादा से ज्यादा केज नांव और सुविधा उपलब्ध कराया जाए तो मछली उत्पादन करने में काफी आत्मनिर्भर बनेंगे और बाहर से मछली लाने की नौबत नहीं पड़ेगी. जामताड़ा जिला में दर्जनों डीवीसी का विस्थापित गांव है जो डीवीसी डैम के किनारे बसा हुआ है. अगर डैम के किनारे बसे गांव के लोगों को डैम में केज के जरिए मछली उत्पादन के व्यवसाय से जोड़ा जाए तो विस्थापित गांव को ना रोजगार मिल सकेगा बल्कि मछली उत्पादन में भी जामताड़ा अव्वल हो सकेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details