जामताड़ा: जिले के पबिया उदयपुर गांव में आर्थिक तंगी और गरीबी ने एक आदिवासी की जान ले ली है. आयुष्मान योजना का भी उस शख्स को लाभ नहीं मिल सका. इलाज के अभाव में आखिर उसने दम तोड़ दिया.
इलाज के अभाव में मौत
यह दुख भरी कहानी जामताड़ा पबिया उदयपुर गांव की है. जहां लकवा से ग्रसित 51 साल के गोपी सोरेन ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि इलाज करा सके. मिट्टी के मकान में जिंदगी गुजर बसर करने वाले इस आदिवासी के पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं था. जिससे कि उसका इलाज हो सकता. जिंदा रहते उसे कोई मदद नहीं मिली. अब मौत पर आंसू बहाने हर कोई आ रहा है. कोई उस पर राजनीति की रोटी सेक रहा है तो कोई अपनी नाकामी पर सफाई दे रहा है.
जांच का विषय
बहरहाल, गोपी सोरेन की कथित तौर पर भूख से मौत हुई है या बीमारी से यह तो जांच का विषय है. लेकिन इस घटना ने पूरी सिस्टम पर सवाल जरुर खड़े कर दिए हैं. एक तरफ सरकार गरीबों के लिए आयुष्मान सहित कई तरह की योजनाएं चला रही हैं, वहीं जरूरतमंदों तक योजना का लाभ नहीं पहुंचने पर लोग दम तोड़ रहे हैं.