जामताड़ा: जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर करमाटाड़ प्रखंड में स्थित है नंदनकानन. जो ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्म स्थली के रूप में विख्यात है, बताया जाता है कि 100 साल पहले पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर यहां पर आए और नंदनकानन के नाम से कुटिया बनाकर रहने लगे. गरीब आदिवासी लोगों के बीच सेवा करना शुरू कर दिए. चिकित्सा और शिक्षा देकर लोगों की सेवा करने लगे.
बताया जाता है कि जब विद्यासागर इस क्षेत्र में आए तब यह इलाका अंधविश्वास, सामाजिक कुरीतियों से घिरा हुआ था. गरीबी और अशिक्षित इलाके को देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में लोगों को सेवा करना शुरू कर दिया. नंदनकानन में निशुल्क होमयोपैथिक डिस्पेंसरी चलाया जो आज भी मौजूद है. उन्होंने नारी शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया. नारी शिक्षा को लेकर उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की जो फिलहाल बदहाल अवस्था में है. विद्यासागर की इस धरोहर को बचाकर रखने और उसको संचालन कर रहे विद्यासागर स्मृति नाम के एक समिति काम कर रही है.
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का किया प्रयास
इस समिति के सदस्य देवाशीष मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि विद्यासागर का यहां आना का मुख्य मकसद सेवा करना था. यहां के लोगों की सेवा करना अपना मकसद बनाया, वे गरीब और दलित आदिवासियों की सेवा करते थे. ईश्वर चंद्र विद्यासागर मुफ्त में डिस्पेंसरी चलाकर लोगों की सेवा की. विधवा विवाह जैसे प्रचलन प्रारंभ किया, बाल विवाह सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास को दूर करने के प्रयास किया.
ये भी पढ़ें-मानव तस्करों की चंगुल से मुक्त हुई मासूम, दिल्ली में बेची गई थी झारखंड की बेटी