जामताड़ा:जामताड़ा जिले का अंबा गांव कांसे के बर्तनों के कारीगरों के लिए मशहूर है. यहां के कारीगरों के बनाए बर्तनों का दुमका के बाजारों में ठाठ है पर इस काम से जुड़े 25 परिवारों कि जिंदगी कम मजदूरी के कारण जैसे-तैसे ही कट रही है.
अंबा गांव के कांसे के बर्तनों का दुमका में ठाठ, कम मजदूरी से जैसे तैसे कटती है कारीगरों की जिंदगी - दुमका
जामताड़ा का अंबा गांव कांसे का बर्तन बनाने वाले कारीगरों के लिए मशहूर है. यहां कारीगरों के बनाए बर्तन दुमका के बाजारों में आसानी से मिल जाएंगे. लेकिन कम मजदूरी के कारण इनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.
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अंबा गांव के कांसे के बर्तनों का दुमका में ठाठ
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कांसा से बर्तन तैयार करने वाले एक कारीगर ने बताया कि वह दुमका से कांसे का टुकड़ा लाता है और फिर उसे गला कर कांसे का बर्तन तैयार करता है. इसके बाद वह तैयार बर्तन फिर दुमका में महाजन को लौटा देता है. इसके लिए उसे एक दिन में दो सौ रुपये मजदूरी मिलती है. जिससे बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पाता है.
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