जामताड़ा: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और इसके प्रसार को रोकने के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन का असर सब जगह देखने को मिल रहा है. सबजे ज्यादा दयनीय स्थिति जहां-तहां फंसे लोगों का है. रोज कमाने- खानेवाले को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है. जिनके समक्ष अब खाने -पीने को लेकर स्थिति दयनीय होती जा रही है. साईं पालकी लेकर निकला महाराष्ट्र से एक परिवार जामताड़ा उदल बनी में लॉकडाउन के कारण फंसा हुआ है. इनके सामने खाने-पीने बच्चों के दूध की परेशानी हो रही है.
जामताड़ा: लॉकडाउन में साईं पालकी लेकर निकला एक परिवार फंसा, छोटे-छोटे बच्चों को हो रही परेशानी - लॉकडाउन में साईं पालकी लेकर निकला एक परिवार फंसा
लॉकडाउन में महीनों से जामताड़ा में महाराष्ट से साईं पालकी लेकर निकला एक परिवार अपने बच्चों के साथ फंसा हुआ है. ये लोग जामताड़ा के उदलबनी पंचायत में रह रहे हैं. जिनके सामने बच्चों के लिए दूध और खाने-पीने के सामान के लिए परेशानी हो रही है.
इनका कहना है कि महाराष्ट्र से साल में एक बार साईं पालकी लेकर निकलते हैं. सभी तीर्थ स्थान का तीर्थाटन करते हुए अपना गुजर-बसर कर वापस महाराष्ट्र अपने घर लौट जाते हैं. इस लॉक डाउन में जामताड़ा में फंस गए हैं. गांव में निकल नहीं पा रहे हैं, थोड़ा बहुत जो राशन चावल उपलब्ध कराया जाता है, उसको खा लेते हैं लेकिन बच्चों के लिए दूध, नमक, तेल, मसाला के लेकर उन्हें परेशानी हो रही है. जरूरत का सामान पैसे नहीं रहने के कारण खरीदे पा रहे हैं.इस परिवार में कुल 18 लोग हैं, जो उदल बनी पंचायत भवन में अपना आशियाना लिए हुए हैं. प्रशासन द्वारा इनलोगों को खाने- पीने के लिए चावल और राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके अलावा पंचायत स्तर पर मुखिया द्वारा भी चावल राशन उपलब्ध कराया जा रहा है.
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फिलहाल लॉकडाउन में फंसे लोगों के सामने खाने के लिए चावल तो जुगाड़ हो जाता है. लेकिन बच्चों के लिए दूध, नमक, मसाला जरुरत के समानों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. इनके समक्ष पैसे नहीं हैं कि समान खरीद सकें, अब इनकी यही प्रतीक्षा है कि जल्द लॉकडाउन टूटे और अपने यात्रा शुरू कर वापस घर लौट जाएं.