जामताड़ा: जिले के लोगों को प्यास बुझाने के लिए अधिकांश ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं सालों से ठप पड़ी हुईं हैं. ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और न ही जलापूर्ति योजना से पानी की आपूर्ति हो रही है. लाखों रुपए से सालों पहले बनी जल मीनार बेकार हैं. जामताड़ा जिला में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर पानी के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं, पर पानी की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल पा रहा है.
करोड़ों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं एवं शहरी जलापूर्ति योजनाएं बनाई गईं हैं, जिसमें से अधिकतर या तो बंद पड़ी हैं या पूरी तरह से लोगों को प्यास बुझाने में सफल नहीं हो पा रही हैं. नतीजा यह है कि आज भी लोगों को कुआं, चापाकल और तालाब पर पानी के लिए निर्भर रहना पड़ता है.
बेवाश गांव में पिछले 4 सालों से ग्रामीण जलापूर्ति बंद
जामताड़ा के बेवाश गांव जहां करोड़ों की लागत से जल मीनार बनाई गई, लेकिन विगत 4 सालों से जल मीनार से ग्रामीणों को जलापूर्ति नहीं हो रही है. नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण जनता को पानी के लिए तरसना पड़ता है. दूरदराज से लोगों को पानी लाने के लिए भटकना पड़ता है.
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस गांव में जलापूर्ति योजना का शुभारंभ किया था. उस समय लोगों को लगा था कि अब उनके गांव में पानी की समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन कुछ दिन तक पानी आपूर्ति तो हुई, उसके बाद यह योजना ठप पड़ गई. गांव की जनता का कहना है कि 4 साल से जल मीनार से पानी ठप है. पानी नहीं मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है.
नारायणपुर में 15 सालों से जलापूर्ति ठप
जामताड़ा के बिंदापत्थर गेड़ियां के अलावा नारायणपुर और फतेहपुर प्रखंड में भी करोड़ों की योजनाएं से बनी जल मीनार शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. लगभग यही हाल जामताड़ा जिले के अन्य ग्रामीण प्रखंडों का है, जहां पेयजल स्वच्छता विभाग की ओर से करोड़ों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जल मीनार तो बना दी गईं हैं, लेकिन अब किसी काम के लायक नहीं है. नारायणपुर प्रखंड में विगत 15 वर्षों से जलापूर्ति योजना के तहत करोड़ों की लागत से जल मीनार तो बना दी गईं हैं, लेकिन आज तक लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला है. ऐसा ही हाल फतेहपुर प्रखंड का भी है.