हजारीबाग: इंसान ताउम्र इसी जुगत में लगा रहता है कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे. लेकिन मौत की बाद अगर उसे चार कंधे भी बमुश्किल नसीब हो, तो क्या कहेंगे. ऐसे में कहीं न कहीं उसकी आत्मा उसे कचोटेगी. कुछ ऐसा ही हुआ हजारीबाग के करगालो गांव में, जहां एक महिला पर डायन-बिसाही का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने महिला की अर्थी को कंधा देने से ही इनकार कर दिया.
क्या है मामला
विष्णुगढ़ प्रखंड के करगालो गांव की एक 75 वर्षीय महिला की लंबी बीमारी से शुक्रवार की रात मौत हो गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने महिला पर डायन-बिसाही का आरोप लगाकर उसके अंतिम संस्कार में भाग लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि वह एक डायन थी, जिसके क्रियाक्रम में भाग लेने से कुछ न कुछ अहित होगा. इसलिए वे परिजनों पर मुर्गी काटने का दबाव बनाने लगे कि पहले मुर्गा कटेगा तभी वे श्मशान जाएंगे, लेकिन परिजन आर्थिक रुप से इतने कमजोर हैं कि उनके पास क्रियाक्रम की ही ठीक से व्यवस्था करने को पैसे नहीं थे गांव वालों को मुर्गा क्या खिलाते. ऐसे में ग्रामीण मूकदर्शक बन महिला की मौत का तमाशा देखते रहे.
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