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आजादी के 73 साल बाद भी नसीब नहीं हुई सड़क, बरसात में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं ग्रामीण - बरही प्रखंड के ग्रामीण जर्जर सड़क से परेशान

हजारीबाग के बरही प्रखंड मुख्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर दूरी पर स्थित करसो पंचायत अंतर्गत खैराटिल्लहा टोला के ग्रामीणों को आजादी के 73 साल बाद भी पक्की सड़क नसीब नहीं हो पाई हैं. लगभग 400 आबादी वाले इस टोले के लोग कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Villagers are in trouble due to bad road in hazaribag
खराब सड़क से ग्रामीण परेशान

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Published : Jun 24, 2020, 4:00 PM IST

हजारीबाग: एक ओर पूरा देश डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, तो दूसरी और कुछ ऐसे गांव-कस्बा भी हैं जहां बुनियादी सुविधाओं का घोर आभाव है. लोग अपने घर तक पहुंचने के लिए बड़ी मुसीबतों का सामना करते हैं. जिले के बरही प्रखंड का एक ऐसा ही गांव है जहां लोग बरसात के दिनों में बदहाली का जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

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हजारीबाग के बरही प्रखंड मुख्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर दूरी पर स्थित करसो पंचायत अंतर्गत खैराटिल्लहा टोला के ग्रामीणों को आजादी के 73 साल बाद भी पक्की सड़क नसीब नहीं हो पाई हैं. लगभग 400 आबादी वाला इस टोले में पेयजल के नाम पर एकमात्र हैंडपंप हैं. यह टोला दलित बाहुल है. टोले से सटे धोबनिगढ़ा टोला भी खराब सड़क की वजह से प्रभावित है. सरकार हर गांव-टोला को मुख्य सड़क मार्ग से जोड़ने में लगी है, लेकिन खैराटिल्लहा टोला आज भी सड़क मार्ग से अछूता है. ये गांव आज भी पगडंडीनुमा कच्ची मार्ग के सहारे टिकी है.

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बरसात के दिनों में करसो पंचायत की सड़क पर चलना भी दूभर हो जाता है. थोड़ी सी बारिश के बाद ही पूरा रास्ता कीचड़ और गड्ढे में तब्दील हो जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि आज तक कच्ची-पक्की किसी प्रकार का सड़क यहां नहीं बना है. सड़क के अभाव के कारण यहां के लोगों को अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो शव को शमशान घाट तक ले जाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गर्ववती महिलाएं, बुजुर्ग जब बीमार पड़ते हैं तो उन्हें खटिया पर डालकर आदिकाल के जुगाड़ एंबुलेंस बनाया जाता है और उन्हें एनएच 33 तक पहुंचाया जाता है. कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. यहां तक की शादी विवाह में भी यह बदहाल मार्ग बाधक बनता है. कई लोग सड़क नहीं रहने के कारण इस गांव से रिस्ता नहीं जोड़ना चाहते हैं. गांव के शिक्षक सह समाजसेवी संतोष भुंइयां ने जानकारी देते हुए बताया कि सड़क निर्माण के लिए वे लोग जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों तक कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक समुचित पहल का अभाव रहा है.

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