हजारीबागः आप लोगों ने आर्ट गैलरी तो कई देखे होंगे. लेकिन आज आपको हम स्विमिंग पूल में बनी आर्ट गैलरी दिखाने जा रहे हैं. यह आर्ट गैलरी बेहद खास भी है क्योंकि यह पद्मश्री बुलु इमाम (Padmashree Bulu Imam) के आवास में बना है. इस आर्ट गैलरी में सोहराय कला को दर्शाया गया है. सोहराय को देश दुनिया मे पहचान दिलाने में पद्मश्री बुलु इमाम और उनके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उनके पुत्र जस्टिन और पुत्रवधू अलका इमाम बड़ी ही शिद्दत से सोहराय आर्ट गैलरी तैयार कर रहे हैं. इस आर्ट गैलरी को तैयार करने में तीन पीढ़ी के लोग लगे हुए हैं. जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी यह कलाकृति पहुंच सके.
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हजारीबाग की एक ऐसी लोक कला जिसका अपना एक इतिहास है. जो पीढ़ी दर पीढ़ी वर्तमान समय में भी गांव में दिखती है. इस लोक कला को सोहराय के नाम से पूरा देश दुनिया जानता है. इस कला को विश्व स्तर में पहचान दिलाने में पद्मश्री बुलु इमाम और उनके परिवार वालों का अथक प्रयास है. लगभग 5000 वर्ष पुरानी लोक कला को अधिक से अधिक लोग जानें, समझें, इसको लेकर यह परिवार इस तरह का काम करता रहा है. वर्तमान समय में पद्मश्री बुलु इमाम अपने घर स्विमिंग पूल में सोहराय आर्ट गैलरी (Sohrai Art Gallery) बना रहे हैं. जिसमें उनके पुत्र जस्टिन इमाम पुत्रवधू अलका इमाम और इनके बेटे एडम अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
झारखंड में सोहराय पेंटिंग को नया आयाम देने के लिए इस कला के जो पुराने कलाकार हैं वो भी आकर मिट्टी के रंग से इस कलाकृति को उकेर रहे हैं. अगर कहा जाए तो तीन पीढ़ी एक साथ एक काम में लगी हुई है. इसके अलावा भी कई ऐसे युवा हैं जो इस काम में अपना हम योगदान दे रहे हैं. उनका कहना है कि वो उस कलाकृति को बना रहे हैं जो उनकी माटी और संस्कृति है, जो हजारीबाग का है और जो उनके इतिहास को दर्शाता है. इस कारण यहां पर पेंटिंग भी कर रहे हैं और कुछ नया सीखने की कोशिश भी कर रहे हैं.