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देश के लिए मरने की थी चाहत, लद्दाख में नदी के आगोश में समा गया भारत का लाल

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Published : May 29, 2022, 5:42 PM IST

Updated : May 29, 2022, 8:44 PM IST

देश के लिए मरने की चाहत थी तो भारत की माटी ने उसे अपने आंचल में जगह दी. यह कहानी है हजारीबाग के रहने वाले फौजी संदीप कुमार पाल की. लद्दाख में सड़क हादसे में जान गंवाने वाले फौजी का पार्थिव शरीर हजारीबाग आने पर पूरा गगन शहीद तुझे सलाम के घोष से गूंज उठा.

Sandeep Kumar Pal of Hazaribag died in road accident in Ladakh body was brought to jharkhand
सेना के जवान संदीप कुमार पाल

हजारीबाग: हजारीबाग शहर के खिरगांव गड़ेरिया मोहल्ले के रहने वाले सेना के जवान संदीप कुमार पाल को रविवार को लोगों ने नम आंखों से विदाई दी. संदीप कुमार ने लद्दाख में हुए सड़क हादसे में जान गंवा दी थी. रविवार को उनका पार्थिव शरीर हजारीबाग लाया गया, जहां उनके अंतिम दर्शन करने के लिए जन सैलाब सड़क पर उतर आया. पूरे इलाके में भारत माता की जय, वीर शहीद तुझे सलाम का घोष गूंजता रहा. इस दौरान समाज के लोगों ने उन्हें सलामी दी और देश के लिए अपूरणीय क्षति करार दिया. स्थानीय लोगों ने बताया कि संदीप देश के लिए ही मरने की बात कहते थे.


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लद्दाख में सड़क दुर्घटना में शहीद संदीप पाल का पार्थिव शरीर हजारीबाग पहुंचा. शव पहुंचते भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा संदीप तेरा नाम रहेगा.. का घोष गूंज उठा. उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उनके घर पहुंचे. इस दौरान हर आंख नम रही. उनके परिवार वालों के आंख थमने का नाम नहीं ले रहे थे. पिता और भाई पर गम का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन उन्हें अपने बेटे पर गर्व है कि देश की सेवा में बेटे ने जीवन न्योछावर कर दिया. इस दौरान सेना के कई पदाधिकारी सामाजिक कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग वहां पहुंचे थे.

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एक हसरत पूरी, दूसरी ख्वाहिश अधूरीः स्थानीय लोगों ने बताया कि वह संदीप मिलनसार थे. लोगों से मिलना, बातें करना उनका शौक था. संदीप कमांडो बनना चाहते थे, उसके लिए वह तैयारी भी कर रहे थे. पिछले बार कुछ कमी रह गई थी लेकिन इस बार उन्हें उम्मीद थी कि वह कमांडो की परीक्षा पास कर जाएंगे. लेकिन उसका सपना पूरा नहीं हुआ. परिजन बताते हैं कि वह कहते थे देश सर्वोपरि है. मैं देश के लिए जीता हूं और देश के लिए मरना चाहता हूं.


शहादत को सलामः हजारीबागवासी शहीद का पार्थिव शरीर लाने के लिए कोनार पुल के पास पहुंचे. जहां सैकड़ों गाड़ियों पर तिरंगा झंडा लहरा रहा था. लोग भारत माता की जयकारे लगा रहे थे और ये शहीद संदीप के पार्थिव शरीर के साथ पैतृक आवास लौटे. इस दौरान जगह जगह फूलों की वर्षा की गई. यह संदेश देने की कोशिश की गई कि हजारीबाग अपने शहीद को नमन करता है. हजारीबाग के खिरगांव निवासी ने कहा कि भले ही हम धर्म से मुस्लिम है लेकिन पहले हम भारतीय हैं. जिस तरह संदीप ने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर किया, बहुत ही बड़ी बात है, हम उन्हें सलाम करते हैं.

सेना के जवान संदीप कुमार पाल
खेल गांव में अंतिम संस्कारः हजारीबाग खेल गांव मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान सेना के जवान, जिला प्रशासन समाज के लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की. सेना की ओर से उन्हें सलामी दी गई. जैसे ही सेना के जवानों ने वाद्य यंत्रों को बजाया तो मुक्ति धाम में सन्नाटा पसर गया. लोगों ने नम आंखों से शहीद को विदाई दी. इस दौरान समाज का हर एक तबका परिवार के साथ खड़ा दिखा और लोगों ने विश्वास दिलाया कि पूरा हजारीबाग आपका परिवार है.जानें संदीप कुमार कोःबताते चलें कि संदीप कुमार पाल के पिता का नाम जय नंदन कुमार पाल है. संदीप दो भाई और दो बहन हैं. इनके बड़े भाई प्रिंटिंग का कार्य करते हैं और दोनों बहनों की शादी हो गई है.इनकी मां का पिछले साल कोरोना काल में 2020 में निधन हो गया था.संदीप ने इंडियन आर्मी वर्ष 2013 में ज्वॉइन की थी. महज 09 साल में ही देश सेवा करते हुए दुनिया से अलविदा कह गए.
Last Updated : May 29, 2022, 8:44 PM IST

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