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स्थापना के बाद से ही विवादों में रहा बड़कागांव का NTPC, पिछले 20 दिनों से नहीं हुआ कोयले का उठाव

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Published : Sep 21, 2020, 6:43 PM IST

हजारीबाग के बड़कागांव में अपनी दस सूत्री मांगों को लेकर ग्रामीण पिछले 20 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका साथ स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद भी दे रही हैं. ग्रामीणों के धरना से एक टुकड़ा कोयला भी खदान से नहीं निकला है, जिससे कंपनी को अरबों रुपए का नुकसान हो चुका है.

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रैयतों का आंदोलन

हजारीबाग: जिले का बड़कागांव हमेशा सुर्खियों में रहा है. जब से यहां एनटीपीसी कोल माइनिंग के लिए पहुंची है तब से लेकर आज तक हमेशा धरना-प्रदर्शन देखने को मिलते रहा है. विरोध प्रदर्शन का ही परिणाम है कि पूर्व विधायक योगेंद्र साव और निर्मला देवी क्षेत्र बदर हैं. एक बार फिर बड़कागांव में 20 दिनों से विस्थापित ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए हैं, 20 दिनों से एक टुकड़ा कोयला भी खदान से नहीं निकला है, जिससे कंपनी को अरबों रुपए का नुकसान हो चुका है.

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कांग्रेस विधायक का मिला साथहजारीबाग के बड़कागांव में 11 अक्टूबर 2004 को एनटीपीसी ने अपने प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. तब से लेकर आज तक ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. बड़कागांव प्रखंड के 11 गांवों के प्रभावित ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना का 20 दिन हो चुका है. विभिन्न क्षेत्रों में तंबू लगाकर ग्रामीण दिन-रात धरने पर हैं, लेकिन कोल माइनिंग कंपनी और विस्थापित प्रभावित के लिए बने उच्चस्तरीय कमेटी के ओर से कोई पहल नहीं की गई है. इस मामले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद भी ग्रामीणों के पक्ष में हैं और इन लोगों से हमेशा मुलाकात भी कर रही हैं. उनका कहना है कि एनटीपीसी के गलत रवैया के कारण यहां रैयतों का विकास नहीं हो पाया और कंपनी सिर्फ दोहन कर रही है. विधायक अंबा प्रसाद का यह भी कहना है कि हेमंत सोरेन सरकार इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है, ग्रामीणों की मांग जायज है, सरकार के ही मदद से हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया, सरकार भी चाहती है समस्या का समाधान हो, हमारी सरकार बहुत ही गंभीरता पूर्वक इस मामले को देख रही है.इसे भी पढ़ें:- हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में जल्द शुरू होगा प्लाज्मा थेरेपी, रफ्तार में तैयारी


ग्रामीणों का कहना है कि एनटीपीसी जब से आई है तब से विरोध ही हो रहा है, इस पर भी हर एक व्यक्ति को सोचना चाहिए, हमलोग से कंपनी के पदाधिकारी बात करना नहीं चाहते हैं, हमारी जमीन है और कंपनी दबाव बनाकर जमीन ले रही है, हमलोगों को रोजगार तक नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों की मुख्य मांगें कोल माइनिंग एक्ट को खत्म करना, 2013 की तर्ज पर कार्यक्रम की शुरुआत करना और हर एक व्यक्ति जो 18 साल से ऊपर है उसे रोजगार देना है. उन्होंने कहा कि अगर कंपनी हमारी बात नहीं मानेगी तो हम 1 इंच कोयला भी नहीं उठाने नहीं देंगे.


अरबों का हुआ नुकसान
एनटीपीसी के अधीन त्रिवेणी सैनिक की ओर से संचालित चिरूडीह कोल माइंस में कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद है, जिससे अरबों रुपए का नुकसान हुआ है. बड़े-बड़े माइंस आज वीरान पड़े हैं. जहां दिनभर कोयला की ढुलाई होती थी आज वहां एक भी गाड़ी नजर नहीं आ रही है. यहां से कोयला देश के कई थर्मल प्लांट तक पहुंचता है, जो अभी नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में कंपनी को अरबों रुपया का नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही साथ अगर यही स्थिति रही तो थर्मल पावर पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा.


इन गांव में धरना
हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड के पंकरी बरवाडीह, सिंदवारी, आराहरा, चेपाखुर्द, चेपाकला, जुगरा, डाडीकला, सीकरी, बडकागाव सुर्य मंदिर, तेलियातरी गांव में 10 सूत्री मांगों को लेकर धरना दिया गया है.


विस्थापित रैयत समिति की मांग
1. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा और 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी युवाओं को नौकरी.

2. कार्य क्षेत्र में एक समान ग्रेड के वर्करों को एक समान वेतन.

3. पूर्ण आवास के लिए प्रत्येक एकल परिवार को हजारीबाग शहर से 5 किलोमीटर के रेडियस में प्रति परिवार 10 डिसमिल जमीन आवास बनाने की राशि आवंटित करने की मांग.

4. पुनर्वास स्थल पर सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की सुविधा.

5. एनटीपीसी से संबंधित जितने भी केस हैं उन सभी केस को वापस लिया जाए और फर्जी केस से पीड़ित सभी व्यक्तियों के क्षतिपूर्ति का भुगतान हो.

6. विस्थापित परिवारों को विस्थापन प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए.

7. कॉल बैरिंग एक्ट खत्म किया जाए.

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