हजारीबाग: छोटे और पिछड़े इलाके में अगर कोई युवा उद्यमी अपनी पहचान देश स्तर में बना है तब आप समझ सकते हैं कि उसकी सोच क्या है? हजारीबाग के डेमोटांड़ में एक वृहद फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई है. आज यह प्रोसेसिंग यूनिट धीरे-धीरे अपना आधार बनाता जा रहा है. 10 राज्यों में यहां के प्रोडक्ट्स चिप्स, कुरकुरे, भुजिया, स्नैक्स, मिक्सचर का प्रोडक्शन भेजे जा रहे हैं.
कंपनी के निदेशक सोनल सिन्हा का कहना है कि चार ऑटोमेटिक वर्ल्ड क्लास मशीन से हमने उत्पादन शुरू किया था. आज 12 यूनिट हमारे पास है. जो उच्च कोटि के फूड मेटेरियल तैयार करता है. जिसे हम लोग देश के कोने कोने में भेज रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट पहुंचे और पूरे प्रोसेस की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि यह हम लोगों के लिए बहुत खुशी की बात है कि हजारीबाग से अब आलू नहीं चिप्स जा रहा है. यह चिप्स पूरे देश भर में हजारीबाग को पहचान दे रहा है.
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जयंत सिन्हा ने ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए बताया कि आत्मनिर्भर हजारीबाग को बनाने के लिए हम लोग जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं. वर्तमान समय में यह 14 कोऑपरेटिव बनाकर तैयार किए गए हैं. जिसमें 7,500 से अधिक किसान, महिलाएं और युवा जुड़े हुए हैं. जो अलग-अलग उत्पाद बनाएंगे और उन्हें बाजार मुहैया कराया जाएगा. इसमें फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी शामिल है. ऐसे में आने वाले समय में एक बृहत चेन हजारीबाग की आत्मनिर्भरता के लिए बनाया जा रहा है.
फूड प्रोसेसिंग यूनिट में अधिकारी फूड प्रोसेसिंग यूनिट के निदेशक सोनल सिन्हा ने बताया कि हमारे फैक्ट्री में महिलाओं की संख्या अधिक है. सभी यूनिट में महिलाएं अपनी सेवा हम लोगों को दे रही हैं. उनका मानना है कि महिलाएं का जब हाथ किसी काम में लगता है तो तरक्की जरूर मिलती है. क्योंकि नारी ही नारायणी है. इसे देखते हुए हम लोगों ने महिलाओं को विशेष स्थान दिया है. एक पूरे शिफ्ट में महिलाएं ही काम करती हैं. अगर दूसरे शिफ्ट से उसका मुकाबला किया जाए तो महिलाओं के द्वारा किया गया काम बेहतर होता है. ऐसे में हमारी सफलता के पीछे महिलाओं का योगदान अहम है.
फूड प्रोसेसिंग यूनिट में काम फैक्ट्री के ऑपरेशन मैनेजर भी बताते हैं कि हम लोग हाइजीन पर विशेष रूप से ध्यान देते हैं. साफ-सुथरा प्रोडक्शन के साथ-साथ उच्च कोटि का उत्पाद तैयार हो यह हमारी प्राथमिकता है. पहले महिलाओं को हम लोगों ने जब फैक्ट्री में देखा तो लगा कि कैसे काम होगा. लेकिन इनके काम के प्रति समर्पण देखते हुए हम लोग आशान्वित हुए कि महिलाएं अच्छा काम करेगी. उनका कहना है कि कोरोना के दौरान स्कूल कॉलेज बंद होने से इस व्यवसाय पर असर भी पड़ा है. लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं और हमारा व्यवसाय फिर से गति पकड़ेगा.
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हजारीबाग जैसे छोटे जिले में युवा उद्यमी ने चुनौती स्वीकार किया. आज चुनौती सफलता की ऊंचाई छू रहा है. जिन्होंने हजारीबाग के लोगों को रोजगार दिया. तो क्षेत्र की पहचान पूरे देश भर में कराई. जरूरत है समाज के वैसे युवक को जो आज के समय में हार मान कर घर में बैठ गए हैं वह इनसे सीख लें ताकि वे भी बुलंदी पा सके, राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें. जिस तरह से अमूल ने फूट प्रोसेसिंग के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है और हजारों लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था में को मजबूत करने में अपना योगदान दिया है. उसी तरह अगर सरकार की ओर से इन्हें प्रोत्साहन मिले तो रोजगार देने के साथ-साथ राज्य को आर्थिक रूप से मजबूती मिल सकती है.