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Published : Jul 30, 2020, 5:41 PM IST

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वन भूमि बेचने का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, शिव शंकर शर्मा ने दायर की जनहित याचिका

हजारीबाग के कई प्रखंडों में फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों रुपए की सैकड़ों एकड़ से अधिक वन भूमि को बेचने का मामला सामने आया था. इस मामले की जांच अब झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर होगा. मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

Public interest litigation filed in High Court regarding sale of Hazaribag forest land
Public interest litigation filed in High Court regarding sale of Hazaribag forest land

रांची: जिले के बड़कागांव समेत कई इलाकों में वन भूमि को अवैध तरीके से बेचने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने याचिका के माध्यम से अदालत को बताया है कि हजारीबाग के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध तरीके से वन भूमि को बेचा गया है. यह साल 2009 से 2013 तक का मामला बताया गया है, जिसमें कि इस वन भूमि को अवैध तरीके से बेचा गया है. उन्होंने अदालत से मामले की सीबीआई जांच करने की मांग की है. याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारी सहित राज्य सरकार के अधिकारी ने मिलीभगत कर जमीन को बेचा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि लगभग एक हजार एकड़ भूमि को अवैध तरीके से बेचा गया है. वहां के बड़े-बड़े लोगों की मदद से इस जमीन का बंदरबांट किया गया है. लगभग हजारों करोड़ रुपए की अवैध कमाई की गई है. इसकी जांच सीबीआई से कराकर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है.

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कुछ दिन पहले ही मामला प्रकाश में आया था

हजारीबाग जिले के 9 प्रखंडों में फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों रुपए की सैकड़ों एकड़ से अधिक वन भूमि को बेचने का मामला सामने आया था. इसमें सैकड़ों लोग शामिल बताए जा रहे हैं. इस मामले के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रजिस्ट्री रद्द करने का आदेश दिया है. इस मामले में 500 से अधिक लोगों को नोटिस भी भेजा जा चुका है. राज्य सरकार के आदेश पर जिले के उपायुक्त ने इस मामले की जांच कराई थी. वन विभाग से वनभूमि का ब्योरा भी लिया गया है. उसके बाद खरीद-बिक्री से संबंधित आंकड़ें से मिलान कराया गया. इसमें यह पाया गया कि साल 2008 से 2013 के दौरान जिले के 9 प्रखंडों में सैकड़ों एकड़ से अधिक वनभूमि की खरीद- बिक्री कर ली गई.

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