हजारीबाग:आंगनबाड़ी भारत में ग्रामीण मां और बच्चों की देखभाल केंद्र है. कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम 1975 से भारत सरकार के ओर से पूरे देश में शुरू किया गया था. इसके तहत देश के कई जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं, लेकिन इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र बंद है. कोरोना के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 साल से ताला लटका हुआ है. ऐसे में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन मिले इसे लेकर उनके घरों तक राशन पहुंचाया जा रहा है. पहले कभी इनकी थाली में अंडा भी हुआ करता था, लेकिन अब अंडा गायब हो गया है. पिछले दो वित्तीय वर्ष में यह योजना बंद कर दी गई है. अब गर्भवती महिलाएं और 3 से 6 वर्ष के बच्चे को पौष्टिक भोजन में दलिया, सूजी, गुड़, चावल, दाल समेत अन्य अनाज दिया जा रहा है.
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गरीब बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र का महत्वपूर्ण योगदान है. 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए केंद्रों पर पौष्टिक भोजन मिलता है, लेकिन इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लटका है. कोरोना काल में सरकार के ओर से आंगनबाड़ी केंद्र बंद करने के आदेश जारी कर दिया गया है. ऐसे में नौनिहालों को पौष्टिक भोजन मिले इसे लेकर जिला प्रशासन उनके घरों तक सूखा राशन पहुंचा रही है. बच्चों के माता-पिता का यह दायित्व है कि वो अपने बच्चों को सुबह आंगनबाड़ी में जिस तरह से खाना दिया जाता था, उसी तर्ज पर दें. समाज कल्याण पदाधिकारी बताती हैं कि पूरे जिले में लोगों के घरों तक सेवा दिया जा रहा है, ताकि बच्चे को अच्छा भोजन मिल सके. वहीं आंगनबाड़ी सेविका भी कहती हैं कि यह योजना काफी अच्छा है, सूखा राशन बच्चे के माता-पिता को पहुंचाया जा रहा है.