हजारीबाग:एक तरफ कोरोना महामारी से आम लोग त्राहिमाम कर रहे हैं तो दूसरी ओर बरही के लोग गर्मी में जल संकट से जूझ रहे हैं. यह हाल तब है जबकि बरही से महज 5 किलोमीटर दूरी पर जवाहर घाटी में मीठे पानी से भरा तिलैया डैम है और पास में ही बराकर नदी भी है. इस अथाह जलभंडार के बावजूद यहां के लोग दस साल से जल संकट से जूझ रहे हैं.
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बराकर नदी से पीएचईडी की और से वर्ष 1972 की जलापूर्ति व्यवस्था यहां 5 वर्षों से ठप है. इसमें लगी मशीनों को जंक लग गया है. नतीजतन बरही चौक के पास स्थित पीएचईडी कार्यालय परिसर में स्थित नई और पुरानी दोनों जल मीनार जल विहीन हैं. ऐसे मे बरही के लोगो को सिर्फ नई जलापूर्ति योजना से ही उम्मीद है किन्तु 7 साल बाद भी यह योजना अधूरी है. अब ऐसी परिस्थिति में लोग पानी खरीदकर पीने को विवश हैं.
2013 में किया था योजना का शिलान्यासराज्य योजना के तहत डीवीसी से संपोषित बरही ग्रामीण जलापूर्ति योजना का शिलान्यास 26 सितंबर 2013 को तत्कालीन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री जयप्रकाश भाई पटेल ने जवाहर घाटी में तामझाम के बीच किया था. उस समय बरही विधानसभा क्षेत्र के तीन कद्दावर नेता इसका श्रेय लेने की होड़ में भी नजर आए थे. दो नेता और उनके समर्थक तो शिलान्यास समारोह के मंच पर आपने-सामने भिड़ते तक नजर आए थे, जो आज भी चर्चा का विषय है. लेकिन कभी डीवीसी की ओर से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ,(डब्लूटीपी) का अधूरा कार्य, डीवीसी की ओर से 9 करोड़ में से बची 3 करोड़ की किस्त की राशि प्राप्त न होने तो कभी एनएचएआई तो कभी वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं होने, कभी संवेदक की लापरवाही तो कभी संवेदक बदल जाने जैसी तकनीकी कारण बताकर यह योजना लटकी रही. बहरहाल करीब 16 करोड़ की लागत से शुरू हुई यह नई योजना आज तक अधूरी है.
विधानसभा की गूंज भी अनसुनी
दुलमाहा के मुखिया प्रतिनिधि मो. असलम का कहना है कि जलापूर्ति योजना पूरा कराने के लिए पूर्व विधायक मनोज कुमार यादव से लेकर वर्तमान विधायक उमाशंकर अकेला तक विधानसभा में आवाज उठा चुके हैं. वर्ष 2013 में जब उमाशंकर अकेला विधायक थे उसी समय इस नई योजना का शिलान्यास हुआ था. अब लोगों की उम्मीद विधायक उमाशंकर अकेला पर टिकी हैं. बरही के मुखिया छोटन ठाकुर का कहना है कि बरही विधानसभा क्षेत्र के झामुमो प्रभारी विनोद विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री से इस संबंध में गुहार लगाई है, लेकिन अब बात नहीं बनी. शिलान्यास के 7 वर्ष बाद भी यह योजना पूरी नहीं हो सकी. अब निजी स्रोत ही लोगों का सहारा हैं. फिलहाल बरही के ज्यादातर भाग में भूगर्भ से खारा पानी निकलता है. इससे पेयजल और कपड़ा धोने के लिए लोग 15- 20 रुपये में प्रतिदिन डिब्बा बंद पानी खरीदने को विवश हैं.
क्या कहते हैं विधायक उमाशंकर अकेला
बरही विधायक सह निवेदन समिति के सभापति उमाशंकर अकेला यादव ने कहा कि मेरे प्रयास से मेरे पिछले कार्यकाल में ही पीएचईडी की ओर से नई योजना का शिलान्यास वर्ष 2013 में किया गया था. इसे जल्द से जल्द पूरा कराना हमारी प्राथमिकता है. डीवीसी ने शेष बकाया राशि (3 करोड़) नहीं दी है. इसलिए काम प्रभावित है. जलापूर्ति योजना को शुरू कराने के लिए मैंने विधानसभा में लगातार आवाज उठाई है. साथ ही पीएचईडी मंत्री और विभाग के वरीय पदाधिकारियों से कई बार भेंट की है. जल्द ही सभी समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा.
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ये काम कराना बाकी
बरही जवाहर घाटी में इंटरवेल निर्माण हो चुका है, बरही चौक स्थित पीएचईडी कार्यालय परिसर में एक लाख गैलन की कैपेसिटी वाला अतिरिक्त जलमीनार भी तैयार है. बरही पूर्वी, पश्चिमी, कोनरा, रसोइया धमना और बेंदगी पंचायत में डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस पाइप बिछाने का कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है. जवाहर घाटी इंटेक वेल से उज्जैना स्थित डब्लूटीपी तक रो वाटर रैजिंग पाइप बिछ चुकी है. इधर डब्ल्यूटीपी से बरही चौक जलमीनार तक जो पाइप बिछाई गई थी, वह एनएच 31 फोरलेन निर्माण को लेकर उखाड़ दी गई है, उसे अभी नहीं बिछाया गया है. वहीं डब्ल्यूटीपी का कार्य डीवीसी द्वारा करीब 70 फीसदी ही कार्य हुआ है, मशनरी भी लगानी बाकी है.
क्या कहते हैं पीएचईडी के अभियंता
पीएचईडी के कनीय अभियंता विमल कुमार ने बताया कि पुरानी जलापूर्ति योजना शुरू नहीं की जा सकती. इस नई योजना को शुरू कराने के लिए विभाग गंभीर है, किंतु तकनीकी कारण सामने आ रहे हैं. डीवीसी की ओर से डब्ल्यूटीपी का कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है. डीवीसी ने करीब 3 करोड़ की राशि अब तक नहीं दी है. एनएच 31 फोरलेन निर्माण को लेकर एनएचएआई रैयतों का जमीन अधिग्रहण करेगा, उसके बाद ही डब्ल्यूटीपी से जलमीनार तक पाइप बिछाने के लिए एनएचएआई से एनओसी ली जाएगी.