हजारीबाग: हजारीबाग के बड़कागांव में दो नई माइंस खुलने जा रहीं हैं. इसके लिए चट्टी बरियातू और केरेडारी में उत्खनन का कार्य शुरू होने वाला है. लेकिन एक तरफ ग्रामीण कोयला उत्खनन का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर एनटीपीसी ने कोल उत्खनन को लेकर तैयारी कर ली है. जल्द ही यहां से उत्खनन किया हुआ कोयला उत्तर प्रदेश और बिहार के बिजली संयंत्रों को भेजा जाएगा.
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हजारीबाग के बड़कागांव में एनटीपीसी कोयला उत्खनन का कार्य कर रहा है. आने वाले दिनों में यहां दो और माइंस में उत्खनन का कार्य शुरू किए जाने की योजना बनाई गई है. यहां से कोयला एनटीपीसी के दो महत्वपूर्ण विद्युत संयंत्रों को भेजी जाएगी. इस बात को लेकर अब ग्रामीणों से वार्ता भी की जा रही है. जमीन अधिग्रहण का कार्य भी तेज कर दिया गया है. एनटीपीसी के केरेडारी और चट्टीबारियातु माइंस के अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्र के क्लियरेंस समेत अन्य कागजी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है.
आगामी 15 मार्च तक चट्टी बारियातु कोल माइंस में उत्खनन कार्य शुरू करने के लिए एमडीओ को डेड लाइन दी गई है. इस परियोजना से प्रति वर्ष सात मिलियन टन कोल उत्खनन का लक्ष्य निर्धारित है. पहले फेज में चट्टीबारियातु और जोरदाग गांव प्रभावित होगा. वहीं केरेडारी कोयला खनन परियोजना के लिए आगामी दस दिन में क्लियरेंस मिलने की उम्मीद है. इस माइंस से प्रति वर्ष छह मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है.
कोयला उत्खनन करने के बाद तक सड़क से ट्रांसपोर्टेशन किया जाएगा. इसके बाद कन्वेयर बेल्ट से कोयला ढुलाई होगा. इसे लेकर कन्वेयर बेल्ट के निर्माण की प्रक्रिया भी चल रही है. ग्रामीणों के सहयोग से कन्वेयर बेल्ट निर्माण का कार्य चल रहा है. यहां पहले पांच साल तक पांडु और तरहेसा गांव प्रभावित होगा. माइंस से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दस से 15 हजार लोगों के रोजगार से जुड़ने की उम्मीद है. कन्वेयर बेल्ट का निर्माण पांडु से उरदा गांव तक की जाएगी. वहां रेलवे साइडिंग बनेगी, जिससे कोयले की ढुलाई होनी है. बताया जा रहा कि चट्टी बरियातु का कोयला बाढ़ पावर प्लांट बिहार तथा केरेडारी से कोयला टांडा पावर प्लांट उत्तर प्रदेश भेजा जाएगा.