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मो. खालिद ने पेश की मानवता की मिसाल, 100 से अधिक लावारिस शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

मोहम्मद खालिद एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज हजारीबाग और उसके आसपास के जिलों में नहीं है. कोरोना काल में उन्होंने मिसाल कायम की है. मोहम्मद खालिद कोरोना काल में वैसे संक्रमित मरीज जिनकी मौत हो जा रही है. उनका अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया है. हजारीबाग में अब तक 28 शव का उन्होंने अंतिम संस्कार किया है.

100 covid death body disposed by md. khalid in hazaribag
100 covid death body disposed by md. khalid in hazaribag

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Published : Sep 20, 2020, 9:22 PM IST

हजारीबाग: कोविड-19 अपनों को अपनों से दूर कर दिया है. अगर संक्रमित व्यक्ति की मौत भी हो रही है, तो उनके अपने सगे संबंधी भी उन्हें चुना तक पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में जहां एक और संबंध तार-तार हो रहा है, तो दूसरी ओर हम सभी यह सोचने को विवश है कि आखिर इतना भय क्यों. वहीं हजारीबाग के मो. खालिद ने मानवता की मिसाल कायम की है, जिसे आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा. उन्होंने अपनी टीम के साथ 100 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार किया है.

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लोगों की करते हैं मदद

मोहम्मद खालिद एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज हजारीबाग और उसके आसपास के जिलों में नहीं है. कोरोना काल में उन्होंने मिसाल कायम की है, जिसे आने वाले कई सालों तक समाज के लोग याद रखेंगे. मोहम्मद खालिद मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष है. जो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते हैं. इन्होंने हजारीबाग के अलावा राजधानी रांची में भी सैकड़ों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है. यही नहीं ये अपनी गाड़ी पर रोटी बैंक चलाते हैं. रास्ते में जो भी भूखा नजर आता है, उसे वह रोटी खिलाते हैं.


कोरोना संक्रमितों का करते अंतिम संस्कार

मोहम्मद खालिद कोरोना काल में वैसे संक्रमित मरीज जिनकी मौत हो जा रही है. उनका अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया है. हजारीबाग में अब तक 28 शव का उन्होंने अंतिम संस्कार किया है. तो है तो दूसरी ओर रांची में जाकर 10 दिनों तक रह कर 72 संक्रमित व्यक्तियों के मौत होने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया है. सिर्फ अंतिम संस्कार ही नहीं उनके अस्थि को उठाकर बाइज्जत प्रवाह भी किया. उनका कहना है कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि कोविड-19 से लोगों में इतना भय बन गया है कि वह अपने परिजनों का अंतिम संस्कार भी करना उचित नहीं समझ रहे हैं. ऐसे में जब हजारीबाग में अंतिम संस्कार को लेकर प्रशासन और पीड़ित परिवार के बीच तन बन हो गया, तो उन्होंने यह बीड़ा उठाया और यह ऐलान भी किया है कि हजारीबाग में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कोरोना संक्रमित से मरता है, उसका अंतिम संस्कार सम्मान के साथ किया जाएगा.

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धर्म से मुस्लिम काम से इंसान

मोहम्मद खालिद कहते भी है कि वे धर्म से मुस्लिम हैं. लेकिन इस कोरोना काल ने उन्हें चिता सजाना भी सिखा दिया. वे खुद ही अब चिता सजाता हैं और चिता पर शव रखकर अंतिम संस्कार करते हैं. लोगों ने कई तरह की बातें भी कही. कई बार उन्हें लोगों ने गलत निगाह से भी देखा. लेकिन वे यह सोच कर चले हैं कि हजारीबाग में किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं रुकेगा जब तक खालीद जिंदा है.

जज्बे को सलाम करता है समाज

समाज के लोग भी इनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं. उनका कहना है कि खालीद इंसान नहीं देवता है. जब अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार के सदस्य भी आगे नहीं आ रहे हैं, तो खालीद उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. उनका पूरा हजारीबाग खालिद का ऋणी है. हजारीबाग सदर अस्पताल के सिविल सर्जन भी कहते हैं कि खालिद के मदद के कारण हम लोगों को काफी सहूलियत मिली है. इनके जज्बे को हम सलाम करते हैं.

पदाधिकारी मांगते हैं मदद

आलम यह है कि खालिद के इस कार्य को देखते हुए हजारीबाग के आसपास जिले के पदाधिकारी भी उनसे अब मदद मांग रहे हैं और इनका यह आश्वासन भी है कि जब भी जरूरत पड़े फोन करें खालीद आपके पास हाजिर रहेगा.

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