हजारीबागः विनोबा भावे विश्वविद्यालय अपने गठन काल से ही शिक्षकों के घोर अभाव से जूझ रहा है. विश्वविद्यालय के केवल स्नातकोत्तर स्तर पर 19 विभाग है. प्रत्येक विभाग में 7 पद होने चाहिए. जिसमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और 4 सहायक प्रोफेसर विभाग के लिहाज से जोड़ा जाए तो कुल 133 पद होना चाहिए, अभी मात्र 22 पद ही सृजित है. अगर पूरे पद को देखा जाए तो 111 पद और सृजित होने चाहिए. लेकिन छात्रों की संख्या को देखते हुए वर्तमान में 108 पद सृजित की बात कही जा रही है. आश्चर्य की बात है कि पद सृजित नहीं करने के कारण विश्वविद्यालय पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.
बिनोवा भावे विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर विकास कुमार बताते हैं कि पद सृजित नहीं होने के कारण विश्वविद्यालय के प्रगति में बाधा हो रहा है. नैक की ग्रेडिंग पर भी असर पड़ रहा है, आने वाले अगस्त माह में फिर से नैक का ग्रेडेशन होना है, इस बाहर हम लोगों ने B++ पाया था. ऐसे में इस बार भी पद सृजित नहीं होने के कारण हमारे विश्वविद्यालय पर इसका बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर इतिहास खंगाल कर देखा जाए तो बिनोवा भावे विश्वविद्यालय के गठन के बाद जो भी विश्वविद्यालय बने हैं वहां पद सृजित किया गया है. लेकिन विनोबा भावे विश्वविद्यालय के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्र संघ, शिक्षक संघ की हमेशा पद सृजित करने को लेकर कोशिश भी किया है. ऐसे में यह उम्मीद लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में हमारा अनुरोध स्वीकार किया जाएगा और पद भी सृजित की जाएगी. विकास कुमार का यह भी कहना है कि हमारे यहां सिर्फ शिक्षक नहीं बल्कि गैर शिक्षक कर्मियों की भी कमी है. जो कर्मी थे उनमें अधिकतर रिटायर्ड कर गए हैं. ऐसे में सेवानिवृत्त होने के बाद पद खाली पड़े हैं. कुछ लोगों की बहाली अनुबंध पर किया गया. कुछ सेवानिवृत्त कर्मियों से भी यह काम लिया जा रहा है क्योंकि उनके पास तजुर्बा है.