हजारीबाग: जिले से 40 किलोमीटर दूर बड़कागांव में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी झालो कुमारी गरीबी का दंश झेल रही है. आलम यह है कि उसे खाने के भी लाले पड़ गये हैं. ऐसे में वह दिनभर खेत में काम करती है और बोझा ढोती है. जब झालो कुमारी की हालत के बारे में ईटीवी भारत ने दिखाया तो स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद ने उस पर संज्ञान लिया. उन्होंने कहा कि झालो को रोजगार दिलाने में वो पूरी मदद करेगी.
ETV BHARAT IMPACT: मुफलिसी में जी रही अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर झालो के बहुरेंगे दिन, विधायक ने लिया संज्ञान - international footballer jhalo kumari financial problem
हजारीबाग के बड़कागांव के कदमाडीह गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल प्लेयर झालो कुमारी आर्थिक तंगी का सामना कर रही थी. जिसकी खबर ईटीवी भारत ने दिखाई. इस खबर का संज्ञान लेते हुए विधायक अंबा प्रसाद ने झालो कुमारी को रोजगार दिलाने की बात कही है.
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अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी झालो कुमारी
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर झालो कुमारी को जल्द ही नौकरी मिल जाएगी. इस बात का दिलासा बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने दिया है. अंबा प्रसाद ने ईटीवी भारत की खबर पर संज्ञान लेते हुए कहा कि आपके संज्ञान में यह बात आई है और हमारे संज्ञान में भी. अब हम लोग इसे न्याय दिलाएंगे. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में उसे मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कराया जाएगा. इसके पहले भी हम लोगों ने कोशिश की थी कि वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करें. लेकिन समस्या आने के कारण मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हुई. लेकिन अब हम कोशिश करेंगे कि उसे नौकरी मिले. ताकि बेरोजगारी का दंश झेल रही झालो को रोजगार मिल सके.
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ब्राजील, रोमानिया और डेनमार्क के खिलाड़ियों से मुकाबला
झालो कुमारी ने फुटबॉल खेलने की शुरुआत अपने विद्यालय शिक्षा के समय की थी. धीरे-धीरे कारवां बढ़ता चला गया स्कूल से जिला, जिला से राज्य, राज्य से राष्ट्रीय और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर में जाकर उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. झालो देश के अंदर उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पुणे के अलावा कई राज्यों में अपना प्रदर्शन दिखा चुकी हैं. वहीं झालो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर में फ्रांस में जाकर मैच खेला. जिसमें ब्राजील, रोमानिया और डेनमार्क के खिलाड़ियों से मुकाबला किया. लेकिन आज यह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अपनी मुफलिसी की जिंदगी जी रही है. बड़कागांव के कदमाडीह गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल प्लेयर झालो कुमारी आर्थिक तंगी की सामना कर रही है. अपने घर में दो वक्त की रोटी के लिए खेत में बोझा भी ढो रही है. तो घर में अंगीठी जलाकर परिवार वालों को खाना खिलाने का इंतजाम करती है. आलम यह है अब अपना जीवन चलाने को लेकर दूसरे पर निर्भर है.