हजारीबागः इस भागमभाग भरी जिंदगी में हर एक व्यक्ति खुद को उस ऊंचाई में देखना चाहता है. उसे जीवन का हर सुख, वैभव और शांति मिले. जब उसे सुख नहीं मिलता है तो वह ऐसा काम कर जाता है जिससे उसका जीवन ही वहां समाप्त हो जाता है. ऐसे में हजारीबाग में हमेशा आत्महत्या की खबर सुर्खियों में रहती है. घर के झगड़े, कभी जमीन-जायदाद तो कभी दहेज का तनाव. आलम ये है कि हर रोज यहां औसतन 1 पोस्टमार्टम आत्महत्या को लेकर हो रहा है. इसके पहले 1 जनवरी से 31 मार्च तक 49 लोगों ने मौत को गले लगा लिया.
एचएमसीएच हजारीबाग के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि जिले में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. तनाव सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है. लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या का ग्राफ और बढ़ा है. 22 मार्च के बाद लॉकडाउन के कारण शिक्षण संस्थान बंद हुए. लोगों की एक्टिविटी रुकी. तब से लोगों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या किया. जिसमें 17 लोगों ने फांसी लगा ली, 6 लोगों ने जहर खा लिया तो 16 लोगों ने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी. मृतक तीन नाबालिग बच्चियां भी शामिल है. इस अवधि में दिल दहलाने वाली घटना भी घटी की मां ने अपने दो बच्चों के साथ खुद को केरोसिन डाल कर जला लिया. घटना में तीनों की मौत हो गई. वहीं लॉकडाउन के 61 दिनों में 55 लोगों ने आत्महत्या कर लिया. अनलॉक वन में 23 लोगों ने आत्महत्या किया है. जिसमें युवा से लेकर नाबालिक और वृद्धि भी शामिल है. हजारीबाग पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस भी कहते हैं कि यह हमारे लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है.