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हजारीबाग कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का दिया आदेश, RTI के तहत सूचना ना देने पर नप गए कई सरकारी पदाधिकारी

हजारीबाग कोर्ट ने RTI के उल्लंघन पर कार्रवाई का आदेश दिया है. इसको लेकर अदालत ने सरकारी पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट का ये फैसला सूचना का अधिकार (Right to Information Act) के तहत सूचना ना देने को लेकर दायर याचिका पर आया है.

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RTI के उल्लंघन

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Published : Jan 13, 2022, 3:16 PM IST

Updated : Jan 13, 2022, 4:36 PM IST

हजारीबागः सूचना का अधिकार (Right to Information Act), आम जनता को दिया गया एक बड़ा अधिकार है. लेकिन कभी-कभी मांगी गयी जानकारी पदाधिकारी नहीं देते या फिर देने से आनाकानी करते हैं. ऐसे में हजारीबाग के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने सूचना नहीं मिलने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बड़ी बात यह है कि कोर्ट ने भी इस मामले में सरकारी पदाधिकारियों कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दिया है. कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड का पहला ऐसा मामला है जिसमें आरटीआई को लेकर कोर्ट की शरण ली गयी हो.

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हजारीबाग में आरटीआई का उल्लंघन को दायर याचिका पर आरटीआई एक्टिविस्ट के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास रहा. हजारीबाग के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने हजारीबाग निबंधन कार्यालय से सूचना मांगी था कि उन्हें सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराया जाए. ऐसे में कार्यालय के द्वारा उन्हें सूचना नहीं दी गई. जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने दोबारा 2 जुलाई 2021 में आवेदन दिया. फिर भी इन्हें सूचना नहीं मिली. अंत में उन्होंने 30 अक्टूबर 2021 को ऑनलाइन RTI किया. लेकिन यहां भी उन्हें मायूसी हाथ लगी. ऐसे में उन्होंने हजारीबाग के वरीय पुलिस पदाधिकारी को भी पत्राचार किया. वहां से भी इन्हें मदद नहीं मिली.

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आखिरकार उन्होंने हजारीबाग सिविल कोर्ट का सहारा लिया. जिसमें कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश निर्गत किया है. जिसमें वैभव मणि त्रिपाठी तत्कालीन सब रजिस्ट्रार, रूपेश कुमार सिन्हा वर्तमान रजिस्टर, रंजीत लाल तत्कालीन एसी, राजेश रोशन वर्तमान एसी को पार्टी बनाया गया है. कोर्ट के इस आदेश को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट का खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने कोर्ट को धन्यवाद दिया है कि संज्ञान लेते हुए उन्होंने ये आदेश दिया है. वहीं इनकी अधिवक्ता ओसिता कृति रंजन ने कोर्ट को बताया कि आरटीआई एक्टिविस्ट को सूचना नहीं दी गयी. साथ ही साथ उनको परेशान भी किया गया. वहीं उन्होंने कई अन्य मुद्दों को भी कोर्ट को बताया. हजारीबाग निबंधन कार्यालय के पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश मिलने के बाद उन्होंने भी कोर्ट के प्रति आभार जताया है.


आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने जानकारी देते हुए कि लोगों के लिए काफी दुख की बात है कि सूचना आयुक्त का पद वर्षों से खाली है. इस कारण उनको अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. उनका कहना है कि आरटीआई एक्टिविस्ट बड़ी मेहनत से समाज को जागरूक करते हैं. एक तरह से कहा जाए तो हम जान जोखिम में डालकर सूचना एकत्र करते हैं. इसके बावजूद पदाधिकारियों संज्ञान ना लें और जानकारी ना दें तो मन मायूस हो जाता है. लेकिन हजारीबाग में जिस तरह से कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है इससे लोगों में उत्साह है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय वो लोग आम जनता की आवाजा ऐसे ही उठाते रहेंगे.

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बताते चलें कि हजारीबाग के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को एक षड्यंत्र के तहत 3 मार्च 2021 को जेल भेज दिया गया था. 16 दिनों तक उन्हें जेल में रखा गया था. पुलिस के द्वारा कहा गया था कि उनकी गाड़ी की डिक्की में नशीली पदार्थ एवं कई आपत्तिजनक सामान बरामद किया गया है. इसके बाद हजारीबाग एसपी ने इस पूरे गिरफ्तारी के पीछे षड्यंत्र बताते हुए केस को निरस्त किया था.

Last Updated : Jan 13, 2022, 4:36 PM IST

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