हजारीबाग: सरस्वती पूजा आगामी 16 फरवरी को है. ऐसे में अब मूर्ति बनकर तैयार हो चुकी है. हजारीबाग के कुम्हार टोली में एक परिवार की तीन बेटियां मिलकर मूर्ति बनाती हैं. इसमें उनके माता-पिता भी सहयोग करते हैं. लेकिन अधिकतर मूर्ति को सजाने का काम बेटियां ही करती हैं. कहा जाए तो शक्ति की प्रतिमा गढ़ने का काम हजारीबाग में बेटी स्वरूपा शक्ति तैयार कर रही है.
हजारीबाग में सरस्वती पूजा को लेकर उत्साह, बेटियां बना रहीं माता की प्रतिमा - सरस्वती पूजा के लिए तैयार प्रतिमा
हजारीबाग जिले में सरस्वती पूजा के लिए बेटियों ने प्रतिमा बनाई है. मूर्ति बनाने वाली बेटियों का कहना है कि मूर्ति जब बनकर तैयार हो जाती है, तो बहुत खुशी होती है.
मूर्ति बनाने में होती है खुशी
उनका यह भी कहना है कि मूर्ति जब बन कर तैयार हो जाता तो बहुत खुशी होती है. ऐसा लगता है की मूर्ति अब कुछ बोलने वाली है. जब मूर्ति की मुंह मांगा कीमत मिल जाती है, तो और भी अच्छा लगता है. लेकिन जब मूर्ति घर से विदा हो जाती है तो पूरा घर खाली-खाली लगता है. मानों घर परिवार का कोई सदस्य बाहर चला गया हो. ऐसे में हम लोग काफी मायूस हो जाते हैं. लेकिन यही सोचते हैं कि अगले साल मां की प्रतिमा फिर बनानी है, ऐसे में हम लोगों को मन में थोड़ी शांति भी मिलती है.
इसे भी पढ़ें-कृषि कानून के विरोध में कांग्रेस की पद यात्रा, कृषि मंत्री बोले-रामगढ़ अधिवेशन की याद कराएगी ट्रैक्टर रैली
कोरोना के कारण हुई परेशानी
छात्राओं का यह भी कहना है कि पिछले साल कोरोना के कारण हमारी मूर्ति बिकी नहीं थी और न ही मूर्ति की मांग थी. ऐसे में हम लोग आर्थिक तंगी के दौर से भी गुजरे हैं. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. ऐसे में मूर्ति की मांग ठीक है, लेकिन अभी भी बड़े मूर्ति की मांग बहुत कम देखने को मिल रही है. छोटे मूर्ति लोग लेना पसंद करते हैं, जिसका कारण महंगाई है. सामान महंगा होने के कारण मूर्ति की कीमत भी अधिक हो जाती है.