हजारीबाग: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए झारखंड सरकार ने कई वादे किए, लेकिन किसानों की हालात और भी खराब होते जा रही हैं. इस बार धान की बंपर खेती हुई है, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी किसानों की पॉकेट खाली है. पैक्स के पास किसानों ने दो महीने पहले ही धान बेच दिया है, लेकिन उनके हाथों में एक पैसा नहीं आया है. किसानों को अब अपने पैसे के लिए पैक्स अध्यक्ष के कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहे हैं. किसानों को धान बिक्री की रकम नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होते जा रही है.
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किसानों को लेकर इन दिनों पूरे देश भर में राजनीति गरम है. झारखंड सरकार ने भी किसानों से बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन किसान अपना ही पैसा लेने के लिए अब सरकार की ओर टकटकी लगाकर बैठे हुए हैं. किसानों ने पैक्स में जाकर अपना धान तो बेच दिया, लेकिन उन्हें 2 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पैसा नहीं मिला है, जिससे किसानों में काफी मायूसी है.
किसानों का कहना है कि हम लोगों को बड़े-बड़े सपना दिखाए गए कि अधिक रकम आपको धान की मिलेगी, लालच में आकर धान सरकार को बेच दिया, लेकिन आज कार्यालय के चक्कर काटते-काटते परेशान हैं. किसानों ने बताया कि धान के पैसे नहीं मिलने से बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर भी आफत आ गई है, घर में शादी है वह भी कैसे होगा. उनका यह भी कहना है कि बैल खरीदने के लिए भी हमारे पास पैसे नहीं हैं.
किसानों को करना है 2 करोड़ 20 लाख का भुगतान
रोमी के पैक्स अध्यक्ष तिरु प्रसाद मेहता कहते हैं कि हम लोग इस बार बुरे फंसे हैं, सरकार के ओर से हम लोगों को कहा गया कि आप धान खरीदें, आपको पैसा दिया जाएगा, किसानों को 2 करोड़ 20 लाख रुपया का भुगतान करना है, जिसमें सरकार से मात्र 19 लाख रुपया ही मिला है, धान देने के बाद किसान अब पैसे लेने घर तक पहुंच रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि राइस मिल भेजने के लिए वाहन भाड़ा भी घर से लगाना पड़ रहा है, धान बाहर पड़ा है उस पर धूप और पानी की मार अलग झेल रहे हैं.
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जयंत सिन्हा का झारखंड सरकार पर आरोप
वहीं हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि यह सरकार का उदासीन रवैया है, कि किसानों का पैसा नहीं मिल पा रहा है, 80 करोड़ रुपया अभी भी बकाया है, सरकार ने 28 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, किसान अपने पैसे के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका एक ही उपाय है कि अभी झारखंड में विधानसभा सत्र चल रहा है, ऐसे में जनप्रतिनिधि वहां किसानों के हक के लिए आवाज उठाएं, ताकि उन्हें भुगतान मिल सके.