हजारीबाग:संक्रमित मरीज को अगर अस्पताल में जगह मिल जाए तो इससे बड़ी राहत की बात उसके परिवार और परिजनों के लिए क्या हो सकती है. हजारीबाग इचाक करियातपुर के रहने वाला एक मरीज सुबह के 9 बजे से सांस लेने की समस्या से जूझ रहा था. उन्हें अस्पताल में जगह नहीं मिल रही थी. ऐसे में दोपहर के 3 बजे के आसपास ईटीवी भारत की टीम से मरीज के परिजनों ने संपर्क किया और मदद की गुहार लगाई. ऐसे में अपना दायित्व निभाते हुए ईटीवी भारत की टीम ने उस व्यक्ति को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराने में मदद की, तो परिवार भावुक हो गया.
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सिर्फ हम चौथे स्तंभ होने का दम ही नहीं भरते बल्कि अपना दायित्व भी पूरा करते आए हैं. ईटीवी भारत सिर्फ खबर ही नहीं बल्कि समय पर अपना दायित्व पूरा करता रहा है. सुबह 9 बजे से मरीज और उसके परिजन अस्पताल में भर्ती होने को लेकर भटक रहे थे. ऐसे में उन्होंने हजारीबाग के तमाम निजी अस्पताल का चक्कर काट लिया लेकिन उसे किसी डॉक्टर ने नहीं देखा.
दरअसल मरीज कोरोना से संक्रमित प्रतीत हो रहा था. ऐसे में परिजनों ने दोपहर के 3 बजे ईटीवी भारत की टीम से संपर्क स्थापित किया और अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने की मदद मांगी. मरीज को लेकर टीम मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची और डॉक्टरों को उसकी स्थिति के बारे में बताया. तत्काल उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया गया, जहां उसका इलाज शुरू हो गया. इस कार्य के लिए परिजनों ने ईटीवी भारत को धन्यवाद भी दिया.
अस्पताल दर अस्पताल भटक रहे थे परिजन
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन के हेल्पलाइन नंबर पर भी फोन किया लेकिन वहां से भी किसी तरह की मदद नहीं मिली. यह घटना हमें ये सोचने को विवश करता है कि अगर कोई गरीब व्यक्ति इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटके और उसका इलाज ना हो तो समझा जा सकता है कि सिस्टम कोमा में चला गया है. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि इस संक्रमण काल में लोग मानवता खोते जा रहे हैं