कोरोना ने लाखों को बनाया गरीब! हजारीबाग में सरकारी अनाज लेने वालों में जुड़े 78 हजार नए परिवार - हजारीबाग खबर
वैश्विक महामारी कोरोना ने हर एक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित किया है. कई ऐसे लोग हैं जिनका रोजगार भी इस काल में छिन गया. कई लोगों ने परिस्थितिवश अपना व्यवसाय भी बंद कर दिया. सरकारी अनाज उठाने वालों की संख्या में हजारीबाग में भारी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है.
number increase below poverty line
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Published : Sep 11, 2021, 5:06 PM IST
हजारीबाग: जिला में कोरोना संक्रमण के दौरान सरकारी खाद्यान्न उठाने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. लगभग 78,000 परिवार सरकारी अनाज का लाभ लेने वालों में शामिल हुए हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत पहले से 3 लाख से अधिक परिवार के पास लाल कार्ड और पीला कार्ड है. जिन्हें एक रुपैया या फिर निशुल्क में राशन मिलता है.
महामारी के बाद जिले में सरकारी अनाज पर आश्रितों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से नहीं जोड़ा जा सका तो राज्य सरकार ने इनके लिए ग्रीन कार्ड की व्यवस्था की. लिहाजा अब हजारीबाग जिले में लाल और पीला कार्ड वालों के अतिरिक्त ग्रीन कार्ड वाले परिवारों की संख्या 78 हजार हो गई है.
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एक साल में बढ़ी गरीबों की संख्या
जन वितरण प्रणाली केंद्र के संचालक और संघ के अध्यक्ष भी मानते हैं कि विगत 1 सालों से काम करने के तरीका और बेरोजगारी के कारण गरीब परिवारों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस कारण केंद्र सरकार ने तो राशन देने की व्यवस्था की ही थी. कई ऐसे परिवार हैं जो छूट गए थे. उन्हें राज्य सरकार के स्कीम के तहत जोड़ा गया है.
पदाधिकारी यह भी कहते हैं कि कई ऐसे आवेदन हमारे पास आते हैं जो राशन कार्ड के लिए दावा करते हैं. ऐसे में हम लोग उनके दावे को सत्यापित करते हैं और अहर्ता पूरा करने से ही राशन कार्ड दिया जाता है. लेकिन जिले में टारगेट था पूरा कर लिया गया है. अब हमारे पास योजनाओं में नया नाम शामिल करने के लिए वैकेंसी नहीं है.
जन वितरण प्रणाली केंद्र के संचालक भी कहते हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा पहले अंत्योदय योजना चलाया जाता था. जिसे हम लोग पीला कार्ड कहते हैं. प्रत्येक कार्ड पर 35 किलो अनाज देना होता है. इसके बाद नवंबर माह तक प्रधानमंत्री की ओर से योजना चलाया गया. जिसमें 5 किलो अनाज प्रत्येक व्यक्ति को देना है. साथ ही साथ ग्रीन कार्ड की व्यवस्था भी झारखंड सरकार ने किया है. हम लोग के पास जो व्यक्ति जिस तरह का कार्ड लेकर आता है उसे उसी तरह का राशन दिया जाता है. लेकिन हाल के दिनों में लाभुकों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है.
खाद्य सुरक्षा योजना के लाभुक परिवारों की संख्या
प्रखंड
लाल कार्ड
पीला कार्ड
बरही
14832
4254
बड़कागांव
22291
5203
बरकट्ठा
19975
4037
विष्णुगढ़
23535
5399
चल कुसा
6637
1893
चौपारण
22268
5587
चूरचू
7307
2026
दाड़ी
10598
1184
दारू
7877
1715
सदर
19714
2420
कटकमदाग
13428
1984
कटकमसांडी
16925
3258
केरेडारी
13889
4014
पदमा
10694
1760
टाटीझरिया
8071
1925
रोजगार की व्यवस्था नहीं
सरकार के द्वारा गरीब परिवार के लिए अनाज की तो व्यवस्था कर दी गई. लेकिन हजारीबाग जैसे शहर में रोजगार के नाम पर कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. जहां ना तो बड़े-बड़े कल कारखाने हैं और ना ही कोई कंपनी है. ऐसे में यहां के लोगों का स्वरोजगार के लिए मात्र एक ही रास्ता है. वह छोटी-मोटी दुकान खोलें या फिर खोमचा लगाएं. हजारीबाग ने देश को यशवंत सिन्हा जैसा वित्त मंत्री दिया तो जयंत सिन्हा जैसा राज्य वित्त मंत्री. इसके बावजूद रोजगार के दृष्टिकोण से हजारीबाग में बहुत अधिक संभावना नहीं है.
सरकारी खाद्यान्न का लाभ गरीब परिवार के लोगों को दिया जाता है. अगर हजारीबाग में सरकारी अनाज का लाभ लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है तो यह माना जा सकता है कि यहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. बहराल देखने वाली बात होगी कि गरीबी रेखा से नीचे जो लोग पहुंचे हैं वे कब और कैसे अपना जीवन स्तर ऊंचा कर पाते हैं.