हजारीबागः जिले के दारू प्रखंड के कई गांव में लेमन ग्रास की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. लगभग 50 एकड़ जमीन में किसानों ने लेमनग्रास लगाया है. जिसमें 300 से अधिक छोटे-बड़े किसान संलिप्त हैं. लेकिन अब इनके लिए बहुत बड़ी समस्या सामने आ गई है. उनके लेमनग्रास की खरीदारी नहीं हो रही है. ऐसे में खेत में लेमनग्रास सूख रहा है. दारू में महिला समूह के द्वारा फैक्ट्री भी लगाई गई है. जिसमें लेमन ग्रास से तेल निकालने का काम किया जाता है. महिला समूह के द्वारा किसानों को लेमनग्रास लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और कहा गया कि ₹10 प्रति किलो लेमनग्रास खरीदा जाएगा. लेकिन अब किसान ₹3 किलो भी देने को तैयार हैं लेकिन उनके लेमनग्रास की खरीदारी नहीं हो रही है. किसान कहते हैं कि हम लोग बेहद परेशान हैं. क्योंकि हमारा लेमनग्रास नहीं खरीदा जा रहा है.
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Contract Farming in Hazaribag: हजारीबाग में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का सच, फसल तैयार, खरीदार ने खड़े किए हाथ
लेमन ग्रास की खेती इन दिनों बेहद सुर्खियों में है. कहा जाता है कि लेमन ग्रास की खेती कर किसान अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं. ऐसे में Jslps ने भी किसानों को लेमन ग्रास की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया और वादा किया कि उनके उपजाये हुए लेमनग्रास की खरीदारी भी झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के द्वारा की जाएगी. लेकिन हजारीबाग के दारू प्रखंड में सोसाइटी ने अब लेमनग्रास खरीदने से हाथ खड़ा कर दिया है. जिससे कॉन्टेक्ट फार्मिंग पर ही सवाल खड़ा हो गया है.
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत की. जहां किसानों को कहा गया कि आपका उपजाया हुआ लेमन ग्रास हमलोग खुद ही खरीदेंगे. ऐसे में किसानों ने भी बहुत ही उत्साह के साथ लेमन ग्रास की खेती की. किसान बताते हैं कि हमारे प्रखंड में लगभग 30 से 40 लाख रुपया का लेमनग्रास लगा हुआ है लेकिन खरीदार नहीं आ रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि पहले कहा गया था कि हम लोग खेत से ही लेमनग्रास ले जाएंगे. लेकिन अब कहा जाता है कि काट कर दो, इसके बाद कहा कि सूखा कर दो और अब कहा जा रहा है कि तेल जितना निकलेगा उसी हिसाब से पैसा दिया जाएगा. लेकिन किसी भी शर्त पर खरीदारी नहीं हो रही है.