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बीडीओ और जेई ने बड़े इरादों के साथ बांधे छोटे-छोटे बांध, बेकार नाला बन गया जल संचयन का उदाहरण

हजारीबाग में जल संचयन को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी ने नई पहल की है. चुरचू बीडीओ और जूनियर इंजीनियर ने नाले के बहाव क्षेत्र में छोटे-छोटे बांध बनवाकर जल संचयन की नई राह खोल दी है. इसका लाभ ग्रामीणों को हो रहा है.

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हजारीबाग

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Published : Apr 1, 2022, 8:28 PM IST

हजारीबागः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2021 में अपने मन की बात में पानी बचाने की अपील की थी. यह बात बीडीओ और जेई की समझ में आ गई. इस पर दोनों अधिकारियों ने जो पहल की वह मिसाल बन गई. क्षेत्र से गुजर रहा नाला जो अक्सर सूखा रहता था, उस पर छोटे-छोटे बांध बनाने से यह नाल जल संचयन का उदाहरण बन गया है.

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सरकार कई योजनाएं चलाती हैं, हर योजना का लाभ अलग-अलग होता है. लेकिन ऐसे पदाधिकारी भी हैं जो लीक से हटकर काम करते हैं और उनके काम की चर्चा भी होती है. ऐसे ही एक पदाधिकारी हैं चुरचू के बीडीओ. हजारीबाग प्रखंड मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर चुरचू प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी इंदर कुमार और उनकी टीम ने जल बचाने की योजना पर काम करना शुरू किया है. प्रखंड विकास पदाधिकारी इंदर कुमार ने इलाके में कम पैसे की लागत से 4 से 5 फीट के छोटे-छोटे बांध बनवाए हैं.

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नाला के बहाव क्षेत्र में लगभग ऐसे 5 से 7 बांध बना दिए गए हैं. जिससे नाले का पानी रुक रहा है और जब पानी 5 फीट से ऊपर हो जाता है तो वह आगे के बांध में जमा हो जाता है. इस तरह पानी का बहाव रूक गया है और इसका लाभ गांव के लोगों को मिल रहा है. गांव के मुखिया बताते हैं कि बरसात के दिनों में यहां का पानी बह जाता था और गर्मी में नाला भी सूख जाता था. उन्होंने बताया कि नाले का स्रोत जंगल से है. ऐसे में पदाधिकारियों की ओर से नाले का जीर्णोद्धार कराया गया.


चुरचू प्रखंड विकास पदाधिकारी भी कहते हैं कि पहले जब हम लोगों ने इस योजना पर काम करना शुरू किया तो इस बात का डर था कि पैसा बर्बाद ना हो जाए. ऐसे में हम लोगों ने छोटी-सी रकम से शुरुआत की. पिछले साल पानी भर गया लेकिन पानी के बहाव के कारण बगल का मिट्टी कट गई और पानी हम लोग रोक नहीं पाए. इस बार हम लोगों ने जिस जगह पर मिट्टी कटी है वहां पर बैरिकेडिंग करने जा रहे हैं. जिससे पानी रुके, यह सोच हमारी टीम का है. अब वो लोग इसी आधार पर अन्य इलाकों में भी पानी रोकने का काम कर सकते हैं.

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प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी प्रणव भी बताते हैं कि हम लोग क्षेत्र भ्रमण करते थे तो ऐसा प्रतीत होता था अगर पानी होता तो गांव के लोगों को लाभ मिलता. लेकिन यहां पानी संचयन करने का तरीका नहीं था, बड़े-बड़े बांध बना दिए जाते थी जो बरसात के दिनों में बह जाते थे. लेकिन उन्होंने पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस दिशा में काम करना शुरू किया. मनरेगा के तहत हम लोगों ने योजना बनाई और जिससे गांव के लोगों को रोजगार भी मिला और हमारी सोच सफल हो गई.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा शुरू किए गए, तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कृत भी किया. जिसमें उत्तर प्रदेश को जल शक्ति के क्षेत्र में कार्य के लिए देश का श्रेष्ठ राज्य चुना गया है. निसंदेह जिस तरह से हजारीबाग के छोटे से प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जल संचयन को लेकर काम करना शुरू किया है. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में झारखंड भी जल संचयन में अपना दम दिखाएगा.

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