हजारीबागः स्पेशल चाइल्ड जो खास होने के बावजूद समाज की भीड़ में खो गए हैं. उन बच्चों को एक युवा व्यवसायी ने दो पल की खुशी देने की कोशिश की है. हजारीबाग के व्यवसायी आनंद सिन्हा ने अपने फूड कोर्ट का उद्घाटन स्पेशल बच्चों से कराया. इसके बाद उन्हें लजीज भोजन का स्वाद भी चखाया. इस दौरान बच्चों ने वहां जमकर मस्ती भी की.
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अर्थ प्रधान समाज में नाम, पैसा, शौहरत के पीछे लोग दौड़ रहे हैं. अगर किसी व्यवसायी को अपनी प्रतिष्ठान का उद्घाटन भी कराना हो तो राजनेता या फिर बड़े पदाधिकारियों से कराते हैं. जिससे उनका समाज में नाम हो और उनको व्यापार में उन लोगों की मदद मिले. लेकिन हजारीबाग के व्यवसायी आनंद सिन्हा ने अपने छोटे से फूड कोर्ट का उद्घाटन स्पेशल बच्चों से करवाया. स्पेशल बच्चे को अपनी गाड़ी से उनके आश्रम से लाया गया और फूड कोर्ट को बैलून और अन्य आकर्षक फुलझड़ी से सजाया गया, जिससे बच्चे आकर्षित हों और उन्हें अच्छा लगे.
इस मौके पर बच्चों का स्वागत भी लाल गुलाब देकर किया गया, जहां दिव्यांग बच्चों ने फूड कोर्ट की शुरुआत की. आनंद सिन्हा ने एक ऐसी दिव्यांग बच्ची से अपने प्रतिष्ठान का उद्घाटन कराया, जो समाज की नजर में कोई अहमियत नहीं रखती. आनंद सिन्हा का कहना है कि ये बच्चे मेरे लिए खास हैं, इसलिए मैंने इनसे उद्घाटन कराया. अगर हम एक पल की खुशी इन बच्चों को दे पाए तो इनसे बड़ी बात और कुछ नहीं हो सकती. व्यवसायी ने कहा कि यह बच्चे अक्सर रेस्त्रां में जाकर खाना नहीं खाते हैं. इनके माता पिता भी बच्चे को नहीं ले जा पाते हैं. लेकिन उन्होंने सोचा क्यों ना इन दिव्यांग बच्चों को अपना वीआईपी गेस्ट बनाएं और इनके पसंद के अनुसार इनको भोजन कराएं. एक छोट सा प्रयास इनके चेहरे में मुस्कान ला दी, यही मेरी असली कमाई है.
संस्था को चलाने वाले पदाधिकारी भी कहते हैं कि आज के समाज में स्पेशल चिल्ड्रन नाम तो दे दिया गया है. लेकिन इन बच्चे को कोई पूछता नहीं है ना ही इनके लिए समाज के लोगों पास समय है. ऐसे में आनंद सिन्हा ने जो प्रयास किया है वह काबिले तारीफ है. इन्होंने स्पेशल चिल्ड्रन से अपने प्रतिष्ठान का उद्घाटन कराया फिर अपने हाथों से उन्हें खाना खिलाया. इसके पीछे मात्र एक ही उद्देश्य था एक छोटी सी मुस्कुराहट. ऐसे में उनके एक इनके इस प्रयास को सलाम करते हैं. इसे भी पढ़ें- स्कूल ऑफ होप बना रहा दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर, इनकी बनाई मोमबत्तियों से रोशन हो रही लौहनगरी
इस दौरान कुछ युवा भी नजर आए जो रेस्त्रां में खाना खाने के लिए पहुंचे थे. जब उन्होंने पता चला स्पेशल चिल्ड्रन फूड कोर्ट का उद्घाटन करने के लिए पहुंच रहे हैं तो उन्होंने अपना खाना छोड़ उनके स्वागत में लग गए. उन्होंने उन बच्चों को खाना भी खिलाया और उनके साथ मस्ती भी की. आलम यह रहा कि दिव्यांग बच्चों ने खाना खाने के बाद रेस्त्रां में जमकर डांस भी किया और कहा कि मजा आ गया. युवाओं का कहना है कि आनंद ने जो काम किया है इसका जवाब नहीं है. जैसा इनका नाम है वैसे ही इन्होंने काम किया है. समाज के लोगों को आनंद से सीख लेने की जरूरत है ताकि स्पेशल बच्चे स्पेशल तरह ट्रीट हो पाए. निसंदेह कहा जाए हजारीबाग का एक छोटा सा फूड कोर्ट का उद्घाटन दिव्यांग बच्चों से कराया गया जो एक मुस्कान के लिए भी दूसरों पर आश्रित हैं. छोटे शहर के व्यवसायी ने पूरे देश को आज संदेश देने का कोशिश की है कि हमें वैसे बच्चों के साथ खड़ा होने का जरूरत है जो स्पेशल हैं. कहा जाए तो फूड कोर्ट में आज सितारे जमीन पर उतर आए हैं. आंनद सिन्हा के ये प्रयास वाकई काबिल-ए-तारीफ है.