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हजारीबाग में कोनार नदी पर जल्द होगा पुल का निर्माण, ग्रामीणों ने चंदा लगाकर बनाया है लकड़ी का पुल - Construction of bridge over Konar river

हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के बेडम में कोनार नदी (Konar River) के ऊपर बने पुल को नक्सलियों ने 2014 में उड़ा दिया था. जिसके बाद से ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी होती थी. ग्रामीणों ने चंदा कर लकड़ी के पुल का निर्माण किया, लेकिन उस पुल से गुजरने में लोगों को काफी डर लगता है. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद अब जिला प्रशासन ने पुल निर्माण का आश्वासन दिया है.

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पुल का निर्माण

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Published : Sep 13, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 6:42 PM IST

हजारीबाग:जिले के टाटीझरिया प्रखंड बेडम में कोनार नदी (Konar River) के ऊपर पुल का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है. जिसके कारण ग्रामीणों ने आपस में 16 हजार रुपया चंदा कर लकड़ी, बालू, बोरा से पुल का निर्माण किया था. इस पुल से होकर गुजरना मौत को आमंत्रित करने जैसा है. इससे जुड़ी खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद जिला प्रशासन हरकरत में आया है. खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि टाटीझरिया के बेडम से कोनार पुल का निर्माण जल्द कराया जाएगा.

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साल 2014 में नक्सलियों ने कोनार पुल को उड़ा दिया था. जिसके बाद 7 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण नहीं कराया गया. हालांकि दो संवेदक ने पुल निर्माण कराने का टेंडर लिया, लेकिन वह भी काम बिना पूरा किए फरार हो गए. जिसके बाद ग्रामीणों ने लकड़ी, बालू और बोरा से पुल का निर्माण किया है.
इस खबर को दिखाने के बाद हजारीबाग उप विकास आयुक्त ने बताया कि लकड़ी के पुल को लेकर जानकारी मिली है. एक टीम बनाकर क्षेत्र में भेजा जाएगा, रिपोर्ट आने के बाद पुल का निर्माण कराया जाएगा.

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ग्रामीणों को राहते देने की कोशिश

उप विकास आयुक्त ने कहा कि डीएमएफटी फंड के अलावा केंद्र के द्वारा भी हम लोगों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए फंड मिलता है. अब हम लोग कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण हो जाए. जिससे ग्रामीणों को राहत मिल सके.

2014 में नक्सलियों ने उड़ाया था पुल

हजारीबाग टाटीझरिया प्रखंड में कोनार पुल 7 साल के बाद भी नहीं बन सका. सरकारें बदल गई, लेकिन पुल की तस्वीर और तकदीर नहीं बदली. लगभग 100 गांवों को जोड़ने वाला पुल आज भी अधूरा है. नक्सलियों ने 2014 में ही इसे बम से उड़ा दिया था. उसके बाद पुल बनाने को लेकर कवायद तो जरूर शुरू हुई, लेकिन पुल पूरा नहीं बन सका. नक्सली चाहते ही नहीं थे कि पुल बने. आज के समय में नक्सल समस्या धीरे-धीरे समाप्त होते जा रही है, लेकिन सरकार की उदासीनता कम नहीं हो रही है. इस कारण से पुल का निर्माण नहीं हो सका. हजारीबाग, रामगढ़ और बोकारो को भी यह पुल जोड़ता है. वहीं हजारीबाग जिला के टाटीझरिया, अंगों, चुरचू, बिष्णुगढ़, झुमरा पहाड़, बेगम पतंगा आदि कई गांव के लोग इस पुल से होकर गुजरते हैं.

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पुल पर बड़े वाहनों के चलने पर रोक


पुल नहीं बनने पर ग्रामीण काफी परेशान हैं. ऐसे में ग्रामीणों ने आपस में बैठक कर रणनीति बनाई. ग्रामीणों ने 16 हजार रुपया चंदा किया और उसी पैसे से लकड़ी के कुंदे से पुल का निर्माण किया. ग्रामीणों ने तय किया कि जिसके घर में पुराना लकड़ी है. वह लाकर पुल बनाने में अपना सहयोग करें. ऐसे में लकड़ी का भी इंतजाम हो गया और लोगों ने मिलकर पुल बना दिया. आज पुल तैयार है और इसी पुल से ग्रामीणों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन पुल पर भारी वाहनों का ले जाना मना है. अगर भारी वाहन पुल से होकर गुजरेगी तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है. पुल से होकर सिर्फ बाइक और छोटे चार पहिया वाहनों का आना-जाना होता है.


बच्ची के घायल होने के बाद ग्रामीणों ने पुल बनाने का किया फैसला

कुछ दिनों पहले एक बच्ची पुल पार करते वक्त 20 फीट नीचे नदी में गिर गई थी. जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गई थी. आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया. बच्ची के इलाज में 3.50 लाख रुपये खर्च हुए. जिसके बाद उसकी जान बची. इसके बाद ही ग्रामीणों ने बैठक कर पुल बनाने का निर्णय लिया था.

Last Updated : Sep 13, 2021, 6:42 PM IST

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