झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

हजारीबाग: कोरोना ने रोकी पहिए की रफ्तार, प्रशासन से लगाई मदद की गुहार

हजारीबाग में कोरोना संक्रमण के कारण सबसे बुरा प्रभाव बस परिचालन पर पड़ा है. 22 मार्च से हजारीबाग में बसों के पहिए थमे हुए हैं. 100 दिन से अधिक बीत जाने के बाद बस मालिक और इस व्यवसाय से जुड़े कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.

bad condtion of bus owners in hazaribag
bad condtion of bus owners in hazaribag

By

Published : Jul 28, 2020, 7:43 AM IST

हजारीबाग: लॉकडाउन के कारण सूबे में बसों के पहिए थमे हुए हैं. झारखंड में लगभग 10000 बस का परिचालन होता है. अगर हजारीबाग की बात की जाए तो लगभग 500 बस चलते हैं. इन बसों से लगभग दो से तीन हजार परिवारों का भरण पोषण होता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब बस व्यवसाय से जुड़े लोगों का हाल बेहाल है. आलम यह है कि अब उनके पास न तो टैक्स देने के पैसे हैं और न ही बीमा भरने के पैसे हैं.

देखें पूरी खबर

नहीं दे पा रहे हैं स्टाफ को पैसा

हजारीबाग के बस मालिकों का कहना है कि उन्हें प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपए देना पड़ रहा है. सरकार राहत नहीं दे रही है. आलम यह है कि अब वे लोग स्टाफ को पैसा भी नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में वे लोग भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं. स्थिति यही रही तो वे डिप्रेशन में चले जाएंगे.

ये भी पढ़ें-रांचीः रिम्स कैंटीन के 3 कर्मचारियों को हुआ कोरोना, राज्य में रिकवरी रेट में आई 10 प्रतिशत की कमी

क्या है बस मालिकों का कहना

बस मालिकों का कहना है कि हमारे पड़ोसी राज्यों में सरकार ने बस व्यवसायियों को राहत भी दी है. बिहार में 40% टैक्स में छूट दी गई है. वहीं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी राहत है. हिमाचल जैसे छोटे राज्य में 4 महीने का टैक्स माफ कर दिया गया है, लेकिन झारखंड सरकार कुछ नहीं सोच नहीं रही है. एक बस से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 15 लोगों की आजीविका जुड़ी रहती है. 100 दिन से अधिक खड़े रहने पर बस के कल-पूर्जे भी खराब हो रहे हैं. टायर भी अब बैठने लगे हैं. बैटरी भी जवाब देने लगी है. जब हम बस रोड पर लाएंगे, तो उस वक्त तक हजारों रुपए खर्च करना पड़ेगा.

गिरवी रखने पड़ रहे हैं जेवर

बस व्यवसाय से जुड़े कंडक्टर का कहना है कि उन लोगों के पास जो जेवर और सामान था. वो गिरवी रखकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. बस मालिकों ने भी कह दिया कि वे पैसा नहीं दे पाएंगे. ऐसे में सरकार उनके लिए कुछ व्यवस्था करे, ताकि वो अपनी बीवी और बच्चों को दो वक्त का निवाला दे पाए.

वहीं एमडी शदाब बताते हैं कि हमने घर में खून-पसीने की कमाई से टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, पलंग खरीदा था, लेकिन आज उनके घर में कोई भी सामान नहीं है. सारा सामान बिक गया है. वे लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं.

For All Latest Updates

TAGGED:

ABOUT THE AUTHOR

...view details