हजारीबाग:लाखों जिंदगी लील लेने वाले कोरोना का असर हर सेक्टर पर पड़ा है. कई सेक्टर में केंद्र और राज्य सरकारों ने थोड़ी राहत भी दी है लेकिन, कोरोना का सबसे ज्यादा असर स्कूली शिक्षा पर पड़ा है. मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की स्थिति तो थोड़ी ठीक है लेकिन गैर मान्यता प्राप्त सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी खराब है. कोरोना काल में कई छोटे स्कूल तो बंद हो गए. कई स्कूलों में शिक्षक दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं. स्कूल प्रबंधन का हाल बेहाल है.
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80 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित
हजारीबाग में निजी स्कूल इन दिनों बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं. आलम यह है कि शिक्षक, छात्र और संचालक सभी बेहाल हैं. नॉन एफिलेटेड स्कूलों का हालत खस्ता है. हजारीबाग में नॉन एफिलेटेड स्कूल के 80 हजार से अधिक विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह से बंद है.
कोरोना काल में ज्यादातर अभिभावकों ने स्कूल की फीस देनी बंद कर दी. ऐसे में स्कूल प्रबंधक का कहना है कि हम क्या कर सकते हैं. बच्चों के अभिभावक फीस नहीं भर रहे हैं और इसके चलते शिक्षकों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लास भी बंद करनी पड़ी.
50 से ज्यादा स्कूल बंद
हजारीबाग में किराए के मकान में चलने वाले गैर मान्यता प्राप्त 50 से अधिक स्कूल बंद हो चुके हैं. मकान मालिक ने किराया नहीं देने पर स्कूल संचालकों को बिल्डिंग खाली करने को कह दिया. आलम यह है कि वहां अब ताला लटका हुआ है. ऐसे में उन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र और शिक्षक दोनों परेशान हैं. कोरोना काल में 5 स्कूल संचालकों की मौत भी हो गई.
हजारीबाग में यू डाइस कोड प्राप्त 907 विद्यालय में 10 हजार से ज्यादा टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मी कार्यरत हैं. घर बैठ जाने के कारण किसी को वेतन नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में इन लोगों का परिवार विपत्ति के दौर गुजर रहा है. प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सरकार से मांग की है कि कुछ रियायत और नियम लागू करते हुए स्कूल खोलने की इजाजत दी जाए ताकि शिक्षकों का घर चल सके. पिछले दिनों ईटीवी भारत ने ऐसी कई खबर प्रकाशित की थी कि स्कूलों में काम करने वाले कुछ लोग अब मास्क तो कोई नारियल पानी बेचने को मजबूर है.
बच्चों की पढ़ाई को लेकर अभिभावक भी परेशान
स्कूल बंद होने से एक तरफ शिक्षक परेशान हैं तो दूसरी तरफ अभिभावकों की परेशानी भी कम नहीं है. अभिभावकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति काफी खराब है. रोजगार का बड़ा संकट है. रोजगार नहीं मिल रहा है तो बच्चों की स्कूल की फीस कैसे भरें. ऑनलाइन पढ़ाने की भी व्यवस्था नहीं है. अगर स्मार्ट फोन है तो डाटा नहीं है और अगर डाटा है तो नेटवर्क की दिक्कत है.
किश्त चुकाने भर भी पैसे नहीं
स्कूल प्रबंधन का यह भी कहना है कि हम लोगों ने गाड़ी समेत कई सामान लोन पर लिया था. अब स्कूल का दूसरा सेशन भी संक्रमण के कारण प्रभावित हुआ है. ऐसे में बैंक की किश्त भी नहीं चुका पा रहे हैं. गाड़ी खड़े-खड़े बेकार हो रही है. सरकार ने तो हर सेक्टर को मदद किया है लेकिन प्राइवेट स्कूल संचालकों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी गई है. स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि सरकार इस सेक्टर पर भी ध्यान दे ताकि शिक्षकों का घर चल सके. अगर कुछ और दिन स्कूल बंद रहेगा तो स्थिति काफी खराब हो जाएगी.