हजारीबाग: आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना जिला में सार्थक नहीं हो पा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों में शुमार स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत युवाओं में प्रशिक्षण की तरफ से तकनीकी ज्ञान बढ़े. लेकिन हजारीबाग के इचाक प्रखंड के बोंगा गांव में जहां सड़क सुविधा नहीं होने के कारण 9 करोड़ की बिल्डिंग अब धूल फांक रहा है. आलम यह है कि राज्यपाल की तरफ से शिलान्यास पट भी झाड़ियों से घिर गया है.
कबाड़ में तब्दील हुआ आईटीआई भवन
हजारीबाग मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर पर 9 करोड़ की लागत से बनाया गया. आईटीआई भवन अब कबाड़ में तब्दील होता जा रहा है. इस केंद्र को जाने के लिए एप्रोच रोड नहीं है. लिहाजा किसी विभाग की तरफ से 3 साल पहले बना देने के बाद भी यहां आईटीआई सेंटर चालू नहीं हो पाया. 3 साल बन जाने के बाद चालू नहीं होने के कारण केंद्र में अब बड़े-बड़े झाड़ी उग आए हैं. प्रशासनिक भवन से लेकर कार्यशाला तक झाड़ियों का कब्जा है. इसे देखने समझने वाला कोई नहीं है. यहां तक की तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद का लगा शीला पट गिर गया है. यहां के समाजसेवी का कहना है कि यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि आईटीआई जैसा केंद्र बनने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
केयरटेकर के रूप में रखा गया
इस भवन में एक युवक को केयरटेकर के रूप में रखा गया है. उसका भी कहना है कि हम लोग अब काफी परेशान है. अगर सरकार और जिला प्रशासन चाहती तो इस केंद्र का उद्घाटन हो जाता और छात्र भी यहां पढ़ पाते. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण आईटीआई कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो शुरू हो पाया है. अगर यह केंद्र खुल जाता तो स्थानीय बच्चों को काफी राहत मिलती और बच्चे टेक्निकल की पढ़ाई कर पाते, जिससे उन्हें स्वरोजगार भी मिल पाता.